Agriculture Technology: भारत के लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर रकबे में कपास की खेती की जाती है. काली मिट्टी को कपास की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, जो महाराष्ट्र में पाई जाती है. यही वजह है कि महाराष्ट्र कपास का सबसे बड़ा उत्पादक बनकर है. इसके अलावा, गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश भी कपास का बढ़िया प्रोडक्शन दे रहे हैं. इन्हीं राज्यों से भारत के कुल कपास उत्पादन का 90 फीसदी हिस्सा मिल रहा है. अकेले 60 फीसदी पैदावार गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से मिलती है. वहीं उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी कपास को बड़े पैमाने पर उगाया जा रहा है. इन दिनों जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों का बुरा असर कपास की फसल पर भी देखने को मिला.


महाराष्ट्र से लेकर हरियाणा तक कई राज्यों में गुलाबी सुंडी ने कपास की फसल को चौपट कर दिया था, जिससे कपास का उम्मीद के बराबर उत्पादन  नहीं मिल पाया. इसी चुनौती के मद्देनजर तेलंगाना के कृषि विश्वविद्यालय ने कपास उत्पादन की एक शानदार तकनीक खोज निकाली है, जो 30 से 50 फीसदी अधिक उत्पादन देती है. इस आर्टिकल में कपास उत्पादन की इसी तकनीक के बारे में जानेंगे.


26 जिलों से मिला बंपर उत्पादन
तेलंगाना के राज्य कृषि विश्वविद्यालय ने कपास उत्पादन की एचडीपीसी तकनीक खोज निकाली है.बिजनेस लाइन की रिपोर्ट में प्रो.जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (PJTSAU) के अनुसंधान निदेशक आर.जगदीश्वर बताते हैं कि हमने एचडीपीसी यानी हाई डेनसिटी प्लांटिंग सिस्टम तकनीक से इस सीजन में 26 जिलों का 3,642 हेक्टेयर रकबा कवर किया गया है. खरीफ सीजन में तो इस तकनीक से 9,000 एकड़ में कपास की खेती की जा सकती है. 


कैसे मिलता है कपास का ट्रिपल प्रोडक्शन
जानकारी के लिए बता दें कि हाई डेनस्टी प्लानट‍िंग स‍िस्टम (HDPS) से एक एकड़ में कपास की खेती करने के लिए 3 एकड़ खेती जितनी मेहनत करनी होती है. ये कपास की परंपरागत खेती से काफी अलग है, क्योंकि कपास की साधारण खेती करने वाले 3 से 4 तुड़ाई में जितना उत्पादन लेते हैं, इससे कहीं ज्यादा प्रोडक्शन आपको एचडीपीसी तकनीक से मिल जाता है, हालांकि ये तकनीक थोड़ी खर्चीली भी हो सकती है, लेकिन इसके प्रोडक्शन से होने वाली कमाई से आप खर्चा भी कवर कर सकते हैं.


कैसे करें कपास की खेती
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कपास की परंपरागत खेती करने के लिए एक एकड़ में 7 से 8 हजार पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन हाई डेनस्टी प्लानट‍िंग स‍िस्टम (HDPS) तकनीक से खेती करने वाले किसान 21,000 से 22,000 पौधे एक ही एकड़ में लगा देते हैं. इस बीच कपास के पौधों की ऊंचाई भी एक समान होनी चाहिए, जिसके नियंत्रण के लिए खास रह का स्प्रे भी किया जाता है. इस प्रोसेस का सीधा मतलब यही है कि कपास के पौधों का आकार छोटा-बड़ा ना होकर एक-समान होना चाहिए, ताकि कपास की हार्वेस्टिंग लेने और कटाई करने में भी आसानी रहे.


थोड़ी खर्चीली है तकनीक
मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि हाई डेनस्टी प्लानट‍िंग स‍िस्टम (HDPS) बहुत कारगर है, लेकिन ये खर्चीली भी हो सकती है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि एक एकड़ खेत में कपास उगाने के लिए किसानों को 2 से 3 पैकेट बीज की तुलना में 5 से 6 पैकेट बीज का इस्तेमाल करना होगा. ये बात सिर्फ लागत की नहीं है. तीन गुना अधिक संसाधन इस्तेमाल करने से उत्पादन भी अधिक मिलता है.जब एक एकड़ में 3 एकड़ के बराबर फसल उगेगी तो  लागत तो बढ़ेगी ही, लेकिन देश को कपास उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह तकनीक क्रांति ला सकती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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