Cotton Price In India: खरीफ सीजन देश के किसानों के लिए अच्छा नहीं रहा. बाढ़, बारिश और सूखे के कारण किसानों की लाखों रुपये की फसलें बर्बाद हो गईं. वहीं, जिन किसानों की फसलें आपदा की चपेट में नहीं आईं. उन्हें कीट और रोगों ने नुकसान पहुंचाया. देश में कपास उत्पादन की स्थिति भी ऐसी ही बनी हुई है. पहले खराब मौसम के कारण कपास की फसल को बेहद नुकसान पहुंचाया. अब कीमतों में कमी आने से किसान परेशान हैं. किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. 


चीन को निर्यात न होने से घटे कपास के दाम


दरअसल, कोरोना के कारण भारत ने चीन से निर्यात पर रोक लगा रखी है. बड़ी मात्रा में कपास चीन को भेजा जाता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन भारत के कपास के बड़े निर्यातकों में से एक है. अब किसानों के सामने संकट यह हुआ है कि उत्पादित हुए कपास को किसान चीन नहीं भेज पा रहा है. देश में भी खपत नहीं हो पा रही है. ऐसे में बचे कपास को मजबूरन सस्ते दामों में बेचना पड़ रहा है. पिछले 15 दिनों में कपास की कीमत में 2000 रुपए की कमी देखी गई है


औरंगाबाद में 7500 रुपये क्विंटल हुआ कपास


महाराष्ट्र में औरंगाबाद मंडी में किसान को अच्छे दाम मिल जाते थे. किसानों का कपास 9500 से 10000 रुपये प्रति क्विंटल तक कपास बिक रहा था. अब कपास की कीममत 7500 रुपए प्रति क्विंटल तक ही रह गई है. दामों में 2 से ढाई हजार रुपये की गिरावट दर्ज की गई है. जानकारों का कहना है कि यदि यही हाल रहे तो आने वाले दिनों में कपास की कीमतों में और अधिक गिरावट देखने को मिल सकती है


एमएसपी पर किसानों की लागत नहीं निकलती


सरकार के स्तर से वर्ष 2022-23 के लिए 6380 रुपये कपास की एमएसपी तय कर रखी है. किसानों का कहना है कि सरकार के स्तर से जो एमएसपी तय की गई है. उसमें सही ढंग से कपास की लागत तक नहीं निकल पाती है. केंद्र सरकार को कपास की एमएसपी बढ़ानी चाहिए. कपास को मंडी तक लाने में किसान का काफी किराया भाड़ा खर्च हो जाता है. वहीं, किसान खुद भी दिन रात मेहनत करता है. उसमें कीटनाशक, फर्टिलाइजर व अन्य का प्रयोग किया जाता है. इस हिसाब से देखें तो कपास की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बनी हुई है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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