Cotton Price Hike: पिछला साल किसानों के लिए अच्छा नहीं रहा. बाढ़, बारिश और सूखा से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई थीं. बिहार, झारखंड में तो सूखे की चपेट में फसल आ गई थीं. वहीं, खरीफ सीजन के आखिर में हुई बारिश ने धान को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया था. आपदा से राहत मिली तो कीट रोग ने पफसलों को बर्बाद करना शुरू कर दिया. महाराष्ट्र और पंजाब में कपास की कीमतों का बुरा हाल हो गया. प्रति क्विंटल 2 हजार रुपये से अधिक की गिरावट दर्ज की गई थी. लेकिन नए साल में कपास की कीमतों को लेकर किसानों को राहत मिलती दिख रही है. 


इस साल बढ़ सकते हैं कपास के दाम


विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में अभी कपास के दामों में गिरावट बनी हुई है. पिछले साल भी कपास का भाव मार्च-अप्रैल मार्च तक बढ़ा था. इस बार भी किसानों को उम्मीद है कि मार्च-अप्रैल में ही कपास के दामों में तेजी आ सकती है. किसान मार्च-अप्रैल तक का इंतजार भी कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि कपास के दामों में 11 हजार रुपये प्रति क्विंटल से अधिक की तेजी दर्ज की जा सकती है. बताया गया है कि जिनके पास कपास को जमा करने की जगह नहीं है. वो ही बाजार में सस्ते दामों में कपास बेच रहे हैं. 


अभी इतनी कीमत पर बिक रहा कपास


केंद्र सरकार ने कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6380 रुपये तय किया है. किसान इस एमएसपी को नाकाफी बता रहे हैं. किसानों का कहना है कि इतनी धनराशि पर कपास की सही ढंग से लागत तक नहीं निकल पाती है. किसान कपास को रोककर चल रहे हैं. बाजार में कम कपास जाने के कारण कीमत थोड़ी सुधरी हैं और कपास 7500 से 8200 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. किसानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कपास की मांग बढ़ेगी तो इसके दामों में भी सुधार देखने को मिलेगा. 


इस वजह से घटे थे कपास के दाम


कपास की कीमत कम होने के पीछे महत्वपूर्ण वजह भी सामने आई थी. दरअसल, कोरोना के चलते भारत ने चीन से निर्यात करने पर रोक लगा दी थी. चीन भारत के कपास के बड़े निर्यातकों में से एक है. अब किसानों के सामने संकट पैदा हो गया कि किसान हर साल की तरह उतना ही पैदा हुआ. लेकिन कपास निर्यात न होने के कारण उसकी खपत नहीं हो सकी. किसानों को औने पौने दामों पर कपास बेचना पड़ा. इसी कारण उसकी कीमत भी तेजी से नीचे गिर गईं. कपास की कीमतों एक साथ ही 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक की कमी दर्ज की गई थी. 




Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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