Cotton Production In Punjab: आटे की कीमतें बढ़ने से आमजन परेशान हुआ. केंद्र सरकार भी आटे की बढ़ी कीमतों को लेकर चिंतित हो गई. आटों की कीमतों के नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाए. गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई. साथ ही घरेलू खपत के लिए स्टॉक से गेहूं बाजार में भेजने का एलान कर दिया. केंद्र सरकार की कोशिशों के बाद आटें की कीमत कुछ नियंत्रण में आईं. लेकिन अब कपास ने चिंता बढ़ा दी हैं. हालात नहीं सुधरें तो इस नए साल में कपड़े की कीमत तक बढ़ सकती है.
पंजाब में घटा 45 प्रतिशत कपास उत्पादन
पंजाब में कपास उत्पादन में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 3 सालों से पंजाब में कपास की अच्छी पैदावार हो रही थी. बंपर पैदावार होने से किसान भी खुश थी. राज्य सरकार के सामने भी कपास भंडारण का संकट नहीं था. लेकिन यह साल पंजाब की सरकार और किसान दोनों के लिए ही अच्छा नहीं रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल कपास की उत्पादकता में 45 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
पंजाब कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़े के अनुसार, इस वर्ष राज्य की औसत उत्पादकता 363 किलोग्राम लिंट प्रति हेक्टेयर यानि 147 किलोग्राम लिंट प्रति एकड़ है, वहीं कच्चे कपास की उत्पादकता 1,089 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर यानि 441 किलोग्राम प्रति एकड़ है. विशेषज्ञों का कहना है कि लिंट सफेद फाइबर होता है. यह कच्चे कपास की ओटाई से मिलता है. ओटाई करने में प्रत्येक 100 किलोग्राम कपास से लगभग 35 किलोग्राम लिंट और करीब 65 किलो बीज मिल जाता है.
कीटों के हमले ने कपास को पहुंचाया नुकसान
जानकारों का कहना है कि इस साल कपास को नुकसान पहुंचाने में सबसे बड़ा कारण कीट रहे हैं. गुलाबी बॉल वर्म और अन्य कीटों ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है. इसको लेकर हाल में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सीनियर अधिकारियों ने बैठक की. बैठक में तय हुआ कि कीड़ों के नुकसान से बचाने के लिए किसानों को जागरुक किया जाए. कीटों से कैसे फसल को बचाया जा सकता है. यह भी बताया जाए. पिंक बॉलवर्म की नियमित निगरानी और उनके प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जाएं. किसानों को कीटों से बचाव के बारे में जानकारी दी जाए. .
इस तरह हुई कपास उत्पादन में गिरावट
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के सीनियर अधिकारियों के अनुसार, पिछले साल 2.52 लाख हेक्टेयरम में कपास की खेती की गइ्र थी. जबकि इस साल खेती का रकबा 2.48 लाख हेक्टेयर रह गया है. यह 1.6 प्रतिशत की गिरावट है. यदि कपास उत्पादन की स्थिति देखें तो करीब 45 प्रतिशत उत्पादन कम देखने को मिला है. किसानों को कीटों से बचाव के संबंध मेें जागरुक करने के लिए जनवरी और फरवरी में शिविर लगाने की योजना बनाई जा रही है.
9600 रुपये क्विंटल तक बिक रहा कच्च कपास
मौजूदा समय में कच्चे कपास की कीमत 8500 रुपये 9600 रुपये के बीच बनी हुई है. यह कीमत कपास की एमएसपी से कहीं अधिक है. लेकिन किसान अभी फसल को नहीं बेच रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि 14 जनवरी को लोहड़ी त्यौहार के बाद कपास के दामों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है. जनवरी पफरवरी 2022 में कपास की कीमत 14 हजार रुपये क्विंटल तक थी. किसान इस साल लोहड़ी के बाद 10 हजार रुपये क्विंटल से अधिक के दामों पर बेचने की उम्मीद जता रहे हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.