Cow Farming: छोटे किसानों की तरक्की में भागीदार बनेगी लाल कंधारी गाय, दूध उत्पादन के जरिये होगा लाखों का मुनाफा
Red Kandhari cow Farming: लाल कंधारी गाय छोटे किसानों के लिये इसलिये भी लाभकारी है, क्योंकि देखभाल में ज्यादा समय बर्बाद नहीं होता और इसे खिलाने के लिये हमेशा हरे चारे की जरूरत भी नहीं पड़ती.
Best Cow for Small Farmers: भारत में पौराणिक काल से ही खेती के साथ-साथ पशुपालन (Animal Husbandry) का प्रचलन है. खासकर ग्रामीण इलाकों में पशुपालन के जरिये खेती के साथ-साथ किसान परिवारों की जरूरतें भी पूरा हो जाती है. बात करें गाय पालन (Cow Farming) की तो आज के समय प्राकृतिक खेती (Natural Farming) और जैविक खेती (Organic Farming) के लिहाज से गाय पालन को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है.
गाय के दूध (Cow Milk Production) के अलावा अब गाय के गोबर और गौमूत्र (Gaumutra Benefits) की डिमांड भी बाजारों में बढ़ती जा रही है. इस बीच गाय की कुछ ऐसी प्रजातियां भी है, जो छोटे किसानों की जरूरतों के साथ उनकी आमदनी को बढ़ाने में भागीदार बन सकती हैं. गाय की ऐसी ही बेहतरीन प्रजाति में शामिल है लाल कंधारी गाय.
लाल कंधारी गाय (Lal Kandhari Cow)
जैसा कि नाम से ही साफ है इस प्रजाति की गाय का रंग गहरा लाला या गहरा भूरा होता है. लंबे कान और मध्यम वनावट वाली लाल कंधारी गाय रोजाना 1.5 से 4 लीटर तक दूध देती है. इसकी पहली ब्यांत की अवधि ही 30 से 45 दिन होती है, जिसके बाद सालभर में 130 से 190 दिनों तक इससे अच्छा दूध उत्पादन ले सकते हैं.
इस गाय की कीमत मात्रा 40 से 50 हजार रूपये है, जो छोटे किसानों के लिये किफायती और लाभकारी साबित हो सकती है. छोटे किसानों के लिये ये इसलिये भी लाभकारी है, क्योंकि इसकी देखभास में ज्यादा समय बर्बाद नहीं होता और इसे खिलाने के लिये हमेशा हरे चारे की जरूरत भी नहीं पडती.
लाल कंधारी गाय से इतिहास
गाय की ये प्रजाति महाराष्ट्र के कंधार तालुका के किसानों को बीच काफी लोकप्रिय है. बता दें कि लाल कंधारी गाय एक स्वदेशी किस्म है, जिसका विकास चौथी सदी में कंधार के राजाओं की निगरानी में हुआ था. महाराष्ट्र और कोंकणी इलाकों में इसे लखाल्बुंदा के नाम से भी जानते हैं. अब गाय की डिमांड कई राज्यों में बढ़ती जा रही है, जिसे अब छोटे और सीमांत किसानों की आजविका भी जुड़ चुकी है.
इस तरह मिलेगा बेहतर दूध
वैसे तो लाल कंधारी गाय 1.5 से 4 लीटर तक दूध (Milk Production) देती है, जिससे किसान परिवारों की जरूरतें पूरा हो जाती है, लेकिन लाल कंधारी गाय के बेहतर स्वास्थ्य और अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन के लिये सही प्रबंधन करने की सलाह भी दी जाती है.
किसान चाहें तो हरे चारे के अलावा फलीदार चारा, तूड़ी या अन्य दलहनी फसलों का चारा और तेल की खलियां (Cow Fodder) भी खिला सकते हैं. गाय को बदहजमी की समस्या (Cow HEalth Care) से बचाने के लिये संतुलित मात्रा में पोषक तत्व खिलायें.
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