Crop Management: सूखा, बाढ़ और बारिश ने देश के कई राज्यों में फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. किसानों की करोड़ों रुपये की फसलें खेत में ही बर्बाद हो गई हैं. किसान लगातार राज्य सरकारों से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार समेत अन्य राज्यों में बुरा हाल हुआ है. जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अफसर कर्मचारियों को लगाकर फसल नुकसान का सर्वे करा रहे हैं उसी आधार पर किसानों को फसल का मुआवजा दिया जा रहा है. 


सेटेलाइट से सर्वे कराएगी महाराष्ट्र सरकार


किसानों को फसलों का उचित मुआवजा मिले, उनकी एक-एक फसल के नुकसान का पैसा उनके खाते में पहुंचे, इसके लिए महाराष्ट्र में सैटेलाइट के सहारे फसल की बर्बादी का मूल्यांकन किया जाएगा. सेटेलाइट से ली गई तस्वीरें एक साक्ष्य का काम करेंगी और मुआवजा दिलवाने में भी काफी कारागर साबित होंगी. यह सर्वे ऑटोपायलट मोड पर होगा. यह खुद ही पिक्चर ले सकेंगी.


कर्मचारियों को सर्वे के लिए लगाया


महाराष्ट्र सरकार ने एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के अफसर व कर्मचारियों को सर्वे करने पर लगा दिया गया है. देखा जा रहा है कि किस क्षेत्र में किस फसल को बाढ़ से अधिक नुकसान हुआ है. खरीफ सीजन की फसल कट रही थी, तभी 4 दिनों तक लगातार बारिश पड़ी थी. देश के 15 राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया था. उसका असर महाराष्ट्र के किसानों पर भी पड़ा है. इससे खरीफ की पछेती और रबी की अगेती फसल को नुकसान पहुंचा है. उसी का सर्वे सरकार करा रही है.


उत्तर प्रदेश में 15 दिन में मिलेगा पैसा


आपदा से होने वाले फसली नुकसान को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर दिया है. आदेश के मुताबिक देवीय आपदा से फसल बर्बाद होने पर 30 दिन में किसान को पैसा मिल जाएगा. यदि क्षेत्रीय स्तर पर फसल को नुकसान हो रहा है तो 15 दिन में क्षतिपूर्ति का पैसा किसानों के खाते में आ जाएगा. इसके लिए फसल नुकसान की सूचना मिलने पर जिले के रेवेन्यू एवं एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के कर्मचारी फसल नुकसान की सूचना 3 दिनों में डीएम को दे देते हैं.


इसके अलावा डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर को लिखित में इसकी सूचना देनी होती है. सूचना मिलने पर 7 दिनों के अंदर डीएम या डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर लिखित रूप से जानकारी बीमा कंपनी को उपलब्ध कराएंगे. डिस्ट्रिक्ट लेवल पर रिवेन्यू, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट और बीमा कंपनी की अफसरों की एक टीम गठित होगी. यह टीम 15 दिनों में जॉइंट इंस्पेक्शन कर 15 रिपोर्ट सौंप देगी. इसके बाद 30 दिन में प्रभावित फसल का बीमा किसान को मिल जाएगा. यदि स्थानीय स्तर पर फसल का नुकसान हुआ है तो उसका मुआवजा 15 दिन में दिया जाएगा. किसान को 72 घंटे के अंदर खुद से बीमा कंपनी को सूचना देनी होगी.


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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.