Protect Vineyards From Climate Change: प्रदूषण और रासायनों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण खेती पर बुरा असर पड़ रहा है. खासकर बात करें बागवानी फसलों (Horticulture) की तो तेज बारिश, कीड़े और बीमारियों के प्रकोप (Outbreaks of Insects and Diseases in Crop) से कई फलों के बाग में भयंकर नुकसान होता है. इनमें अंगूर के बाग भी शामिल हैं, जिसमें प्रकृति की बेरुखी के कारण नुकसान बढ़ता जा रहा है.


कृषि विशेषज्ञों की मानें तो जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण सबसे ज्यादा अंगूर का उत्पादन (Grapes Production) प्रभावित हुआ है. हर साल अंगूर के बागों (Vineyards) से फलों के उत्पादन में कमी देखी जा रही है, जिससे किसानों को भी फसलों का वाजिब दाम नहीं मिल पाता और वे दूसरे विकल्पों की तरफ रुख कर रहे हैं.




क्या है समाधान (Solution to Save Vineyards from Climate Change)
मौसम की बेरुखी का शिकार होने वाले अंगूर के बागों में लगातार प्रबंधन (Crop Management) करना बेहद जरूरी है, जिससे कीड़े और बीमारियों की संभावना कम रहे.



  • इसके लिये फसल पर बीमारियों के लक्षण दिखने पर कटाई-छंटाई करके सड़ी-गली  और रोग प्रभावित डालियों को हटा देना चाहिये.

  • फलों पर कीड़े और बीमारियां बनपने पर जैविक कीटनाशकों का प्रयोग काफी प्रभावी होता है, इससे फलों की क्वालिटी भी कायम रहती है.

  • अंगूर के बागों में मानसून और बारिश से पहले ही जल निकासी का प्रबंधन करना बेहद जरूरी है, जिससे बारिश का पानी फसल की जड़ों में न जमें.

  • मानसून से पहले अग्रिम समाधान के रूप में पेड़ की जड़ों में जैविक या कंपोस्ट खाद के साथ-साथ जरूरी पोषक तत्व डालें और पेड़ के चारों तरफ मिट्टी चढ़ाने का काम भी करें.

  • बागों की तैयारी के समय रोपाई से पहले गड्ढों में नीम की खली जरूर डालें, जिससे ताउम्र बाग में कीड़े और बीमारियों की संभावना नहीं रहती.

  • किसान चाहें तो नुकसान से बचने के लिये पुरानी फसल प्रणाली बदलकर खेती के आधुनिक तरीकों से बागवानी कार्य कर सकते हैं.

  • बागवानी फसलों के बेहतर प्रबंधन के लिये संबंधी कृषि विशेषज्ञ के संपर्क में जरूर रहना चाहिये. 




कृषि वैज्ञानिक करेंगे मदद (Agriculture Experts will Helps Vineyards Farmers) 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक (Nashik) और सांगली (Sangali) जिले में मौजूद अंगूर के बागों (Vineyards Management)  में जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ कीट और बीमारियों के चलते काफी नुकसान देखा गया है. इस समस्या पर संज्ञान लेते हुये राज्य अंगूर उत्पादक संघ (Maharashtra Grape Growers Association) ने फैसला किया है कि उनकी टीम अब अंगूर के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्रों (Agriculture Research) के साथ मिलकर इस गंभीर संकट का समाधान खोजेंगे.


फिलहाल संघ और संस्थान के बीच हुये समझौते के बाद इस मामले पर शोध कार्य किये जा रहे हैं. बता दें कि महाराष्ट्र को भारत का सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक (Maharashtra is Largest Grapes Producer) राज्य कहा जाता है. यहां से देश-विदेश में अंगूर का निर्यात (Grapes Export)किया जाता है, लेकिन पिछले 4 साल से अंगूर उत्पादक किसान भारी नुकासन का सामना कर रहे हैं. इससे फल की क्वालिटी, उत्पादन, उत्पादकता और निर्यात पर बुरा असर पड़ रहा है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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