Crop Management: आंधी या बारिश से झुक गई है धान की फसल, इस तरह दोबारा पहले जैसी हो जायेगी
Paddy Crop Management: फसल के झुकने की समस्या ज्यादातर जुलाई-अगस्त के बीच आती है. इस दौरान ठीक-ठाक लंबाई वाले ज्यादातर पौधों के तने कमजोर होकर बैठ जाते हैं और फसल के उत्पादन में भी कमी आ जाती है.
Treatment of Tilted Down Crops: भारत के ज्यादातर राज्यों में धान की खेती (Paddy Farming) बड़े पैमाने पर की जाती है. इससे देश के साथ-साथ विदेशी बाजार की डिमांड को भी पूरा किया जाता है, इसलिये धान की फसल में समय-समय प्रबंधन कार्य (Paddy Crop Management) करते रहना चाहिये. अकसर सुनने में आता है कि धान या अन्य फसलें तेज बारिश या आंधी के कारण नीचे की तरफ झुक (Paddy Crop Tilted Down) जाती है.
ऐसी समस्या ज्यादातर जुलाई-अगस्त के बीच आती है, जब पौधों की लंबाई ठीक-ठाक स्तर पर पहुंच जाती है. इस समस्या के कारण कई पौधों के तने कमजोर होकर टूट जाते हैं और उत्पादन में कमी आ जाती है.
क्या करें किसान
यदि मौसम की अनिश्चितताओं के कारण फसलें झुक गई है तो पौधों को दोबारा सीधा करने के लिये उनका झुंड बनाकर एक साथ बांधें और खेत में दोबारा सीधा कर दें.
- कई इलाकों में सालभर तेज आंधी और बारिश के कारण फसलों के झुकने की समस्या बनी रहती है. ऐसे में खेत की मेड़ों पर पेड़ या पौधा लगाने की सलाह दी जाती है, जिससे हवा पेड़ों से टकराकर अलग बह जाये और फसलों पर ज्यादा प्रभाव ना हो.
- ऐसी स्थिति में धान की मजबूत और सुरक्षित किस्मों को ही खेतों में लगाना चाहिये, ताकि नुकसान की आशंका कम रहे.
धान के किसानों के लिये सलाह
इस समय धान की फसल में कीट-रोग नियंत्रण के साथ पोषण प्रबंधन का काम भी किया जा रहा है, ताकि फसलों सुरक्षित उत्पादन ले सके. धान की रोपाई के बाद जो फसलें 20 से 25 दिनों की हो चुकी हैं, वे प्रति एकड़ फसल पर 20 किग्रा. यूरिया का छिड़काव कर दें.
- अकसर धान के खेतों में खरपतवारों की संभावना भी बढ़ जाती है. इसके प्रबंधन के लिये फसल में निराई-गुडाई का काम करते रहें और खरपतवारों को उखाड़कर खेत के बाहर फेंक दें.
- धान की सीधी बिजाई वाली फसलों में इस समय गंधीबग कीट का प्रकोप बढ़ जाता है. इसकी रोकथाम के लिये फसल में निगरानी करते रहें, ताकि लक्षणों को पहचानकर दवा का छिड़काव किया जा सके.
खाली खेतों में उगायें ये फसलें
खरीफ सीजन (Kharif Season 2022) में मौसम की अनिश्चितताओं के कारण कई किसानों ने अपने खेतों को खाली छोड़ दिया है. ये किसान अपने खेतों में हरी मटर, हरा चना और पशुओं के लिये चारा फसलों की खेती शुरु कर दें.
- किसान चाहें तो खेतों को तैयार करके कम पानी वाले इलाकों में कुलथी या फिर सरगुजा की फसलों की बुवाई भी कर सकते हैं.
- अच्छी सिंचाई व्यवस्था होने पर ग्लैडियूलस या गेंदा फूल की फसल भी लगा सकते हैं, जिससे अक्टूबर-नवंबर तक काफी मुनाफा होगा.
- नर्सरी में सब्जियों (Vegetable Nursery) की तैयार पौध की रोपाई खेतों में भी कर सकते हैं. इसके लिये गोबर की कंपोस्ट खाद (Compost Fertilizer) डालकर खेतों को तैयार करें और ऊंची क्यारियां, बैड या मेड़ बनाकर ही खेती (Vegetable Plantation) करें.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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