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Profit Farming: खेतों में अलग-अलग फसलें लगाने पर मिलेंगे बेमिसाल फायदे, ज्यादा कमाई के लिए करें ये प्रयोग

Crop Rotation Technique: फसल चक्र के अनुसार एक ही जमीन पर बदल-बदलकर फसलें लगाने का नियम है यानी एक फसल की कटाई के बाद मिलती-जुलती आवश्यकता और एक ही प्रजाति की फसलें नहीं लगानी चाहिये.

Monoculture in Agriculture: भारत के किसान खेतों में जी जोड़ मेहनत करते हैं, ताकि हमारी थालियों तक अन्न पहुंत सके. इतनी मशक्कत के बावजूद कई बार किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल पाता, जिससे उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है. इसके पीछे कई कारण होते हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change), फसल में कीट-रोगों का प्रकोप(Pest-Disease in crop), कृषि सुविधाओं की कमी आदि, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सही फसल चक्र (Right Crop Cycle) ना अपनाने पर भी फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है. 

क्यों जरूरी है फसल चक्र
बता दें कि फसल चक्र के अनुसार एक ही जमीन पर बदल-बदलकर फसलें लगाने का नियम है यानी एक फसल की कटाई के बाद मिलती-जुलती आवश्यकता और एक ही प्रजाति की फसलें नहीं लगानी चाहिये. इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कमजोर पड़ जाती है और भूजल स्तर गिरने लगता है. फसल के कम उत्पादन के पीछे ये कारण जिम्मेदार हैं. इसके अलावा एक जैसी फसलें लगाने पर कीट-रोगों का प्रकोप भी बढ़ जाता है, जिसे सुधारने के लिये अदल-बदलकर फसलों की खेती यानी फसल चक्र अपनाना जरूरी है. 

सभी बड़े कृषि वैज्ञानिक किसानों को फसल चक्र अपनाने की सलाह देते हैं, जिससे प्राकृतिक तौर पर मिट्टी में पोषक तत्वों की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकें. साथ ही रासायनिक कीटनाशकों की उपयोगिता को कम करके संसाधनों को बचाया सके. इससे खेती की लागत कम होगी और किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद होगी.

फसल चक्र अपनाने पर मिलेंगे ये फायदे
अलग-अलग फसलों की खेती करने पर मिट्टी की क्वालिटी और भूजल स्तर कायम रहता है, जिससे सिंचाई पर अधिक खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती.

  • इससे फसलों में उन जीवांशों की मात्रा बढ़ती है, जो मिट्टी की सेहत के साथ-साथ फसलों के अंकुरण और पौधों के विकास में मददगार होते हैं.  
  • फसल चक्र अपनाने पर मिट्टी में ज्यादा खाद-उर्वरकों की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि फसलों के अवशेषों का सही प्रबंधन करने पर भी मिट्टी में उर्वरता बढने लगती है. 
  • खासकर दलहनी और सब्जी फसलों की खेती करने पर मिट्टी की जैविक दशा सुधरती और नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में भी मदद मिलती है.
  • खेती में प्रति इकाई का खर्च कम होता है और कम सिंचाई, खाद-उर्वरक और सही प्रबंधन कार्यों (Crop Management) से भी खेती में मुनाफा बढ़ जाता है.
  • इस प्रकार खेती करने पर किसानों की दैनिक जरूरतें भी पूरी होती हैं, जैसे खाद्यान्न, दालें, तेल, सब्जियां आदि बाजार के साथ-साथ किसानों की रसोईयों तक पहुंचती हैं,,
  • अलग-अलग फसलों को लगाने पर कीट और खरपतवारों की संभावना नहीं रहती. खासकर अलग-अलग फसलों की जैविक (Organic Farming)  और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) करके जोखिम कम होता है.
  • फसल चक्र (Crop Cycle) अपनाने पर पहले से ही अगली फसल की जानकारी होती है, जिससे समय पर बीज से लेकर बाकी चीजों का इंतजाम हो जाता है.
  • इससे मिट्टी का कटाव रोकने (Soil Health) में मदद मिलती है और मिट्टी में पानी को बाधने की शक्ति (ground Water in Agriculture) भी बढ़ती है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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