Crop Management: भारत में फसलों की कटाई के बाद फसल अवशेष प्रबंधन (Crop Waste Management) करना काफी आसान हो गया है, जिसके लिए किसान बायो-डीकंपोजर (Bio Decomposer) का इस्तेमाल करते हैं. बहुत ही कम किसान जानते हैं कि पूसा का जैव डीकंपोजर फसल अवशेष प्रबंधन (Bio decomposer for Crop Waste Management) के साथ-साथ खाद और कीटनाशक के तौर पर भी काम करता है.
प्राकृतिक खेती (Bio Decomposer in Natural Farming) करने वाले किसान भी अब जीवामृत-बीजामृत के साथ-साथ पूसा डीकंपोजर का इस्तेमाल करने लगे हैं. दरअसल पूसा डीकंपोजर का छिड़काव (Bio Decomposer Spray) के बाद फसल का कचरा को जैविक खाद में तब्दील हो जाता है. इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कायम रहती है और कीट-रोगों की समस्या भी कम हो जाती है.
इस तरह बनायें डीकंपोजर
जानकारी के लिए बता दें कि पूसा डीकंपोजर एक सोल्यूशन या कल्चर होता है, जिसे कैप्सूल और बोतलों में उपलब्ध करवाया जाता है. किसान चाहें तो घर पर भी डीकंपोजर बनाकर फसल अवशेषों का निपटान कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले एक प्लास्टिक ड्रम में 150 ग्राम गुड़ और 5 लीटर पानी को मिलाकर मिश्रण बना लें.
- इस मिश्रण के ऊपर कुछ सूक्ष्म कण तैरने लगते हैं, जिन्हें उतारकर फेंक देना चाहिए.
- इसके बाद मिश्रण को ट्रे या टब में निकालकर ठंडा या गुनगुना होने के लिए रख दिया जाता है.
- मिश्रण का तापमान हल्का गुनगुना होने पर 50 ग्राम बेसन और 4 पूसा डीकंपोजर के कैप्सूल डालकर मिलाए जाते हैं.
- अब इस मिश्रण को लकड़ी या बांस की मदद से ठीक प्रकार मिलाएं और साफ कपड़े से ढंककर कोने में रख देना चाहिए.
7 दिन में तैयार हो जाएगा डीकंपोडर
डीकंपोजर का घोल तैयार करने के लिए 2 से 3 दिनों के लिए ढंककर रखा जाता है और इसके ऊपर मलाई जैसी मोटी परत जमने पर दोबारा 5 लीटर गुड़ को हल्का गरम करके मिला देते हैं.
- इसके बाद हर 2 से 3 दिन के अंदर इस घोल को मिलाते रहना चाहिए, ताकि जैव एंजाइम्स ठीक प्रकार से काम कर सकें.
- इस तरह सर्दियों में 10 से 15 दिन के अंदर और गर्मियों में 6 से 8 दिनों के अंदर डीकंपोजर का 25 लीटर घोल या कल्चर तैयार कर सकते हैं.
- किसान चाहें तो फसल की कटाई के समय घर पर पूसा डीकंपोजर तैयार कर सकते हैं, ताकि कटाई के बाद इसका छिड़काव खेत में पड़े जैव कचरे पर किया जा सके.
इस तरह करें इस्तेमाल
पूसा डीकंपोजर से फसल अवशेष प्रबंधन का कल्चर तैयार करने के बाद 10 लीटर डीकंपोजर घोल को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़का जाता है.
- इसका छिड़काव करने से फसल का कचरा जैविक खाद में बदल जाता है और रसायनिक उर्वरकों के कारण बिगड़ती की मिट्टी दुर्दशा को भी सुधार सकते हैं.
विशेषज्ञों की मानें तो फसल के कचरे पर डीकंपोजर का छिड़काव करने के बाद हल्की सिंचाई और खेतों की जुताई भी करते हैं, ताकि ये ठीक तरह से खाद में बदल जाए.
डीकंपोजर के फायदे
पूसा डीकंपोजर से तैयार कल्चर (Pusa Decomposer Culture) के कई बेमिसाल फायदे होते हैं. इसका इस्तेमाल करने पर फसलों को खाद की आपूर्ति हो जाती है, जिससे अलग से खाद-उर्वरकों का खर्च बच जाता है.
- पूसा डीकंपोजर से बनी फसल अवशेषों की खाद से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति वापस लौटने लगती है और भूजल स्तर भी कायम रहता है.
- इसके इस्तेमाल से बनी खाद के कारण मिट्टी में जीवांशों की संख्या काफी हद तक बढ़ जाती है. इससे मिट्टी का कटाव नहीं होता और मिट्टी में नमी बनी रहती है.
- बहुत ही कम किसान जानते हैं, लेकिन पूसा डीकंपोजर का इस्तेमाल (Benefits of Pusa Decomposer) कीट एवं रोग नियंत्रण में भी मददगार साबित होता है.
- कम शब्दों में पूसा डीकंपोजर (Pusa Decomposer) की मदद से फसल अवशेष प्रबंधन, खाद का इंतजाम करके पोषण प्रबंधन और कीट-रोग नियंत्रण का कार्य भी निपटा सकते हैं. इससे रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर बढ़ती निर्भरता को भी कम किया जा सकता है.
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