यदि ट्यूलिप गार्डन देखने कश्मीर ना पहुंच पाएं तो यहां चले आइएगा....कृषि वैज्ञानिकों ने आप ही के लिए तैयार किया है शानदार टूरिज्म स्पॉट
Palampur Tulip Garden: अब कश्मीर के ट्यूलिप गार्डन का आनंद हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में भी मिलेगा. यहां साइंटिस्ट ने टूरिज्म एक्टीविटीज बढ़ाने के लिए 4000 से अधिक रंग-बिरंगे ट्यूलिप के बल्ब लगाए हैं.
Kashmir Tulips Garden: नीदरलैंड, स्विटजरलैंड और कई देशों में ट्यूलिप गार्डन की खूबसूरती देखने लायक होती है. देसी ट्यूलिप गार्डन की बात करें तो कश्मीर की राजधानी श्री नगर के ट्यूलिप भी अब वर्ल्ड फेमस हो रहे हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्यूलिप गार्डन से भी अब कश्मीर की वादियों में चार चांद लगते जा रहे हैं. आप में कई लोग कश्मीर के ट्यूलिप गार्डन का रुख नहीं कर पाए है, तो अब हिमाचल के पालमपुर का भी रुख कर सकते हैं. यहां सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) ने नया ट्यूलिप गार्डन इंट्रोड्यूस करने की तैयारी पूरी कर ली है.
पालमपुर में ट्यूलिप की खेती को बढ़ावा देने और इसे एक टूरिज्म स्पॉट के तौर पर विकसित करने के लिए सीएसआईआर आईएचबीटी के साइंटिस्ट ने रंग-बिरंगे ट्यूलिप्स के 40,000 से अधिक बल्ब की रोपाई कर दी है.
पिछले साल भी पालमपुर के ट्यूलिप गार्डन ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था. इस बार भी 2,000 वर्गमीटर में विकसित हो रहा नया ट्यूलिप गार्डन जल्द लोगों का मन मोहने के लिए तैयार है.
भारत में चल रहा ट्यूलिप का ट्राइल
गांव कनेक्शन की रिपोर्ट के अनुसार, पालमपुर में ट्यूलिप गार्डन विकसित करने वाले सीएसआईआर-आईएचबीटी के फ्लोरीकल्चर विभाग के साइंटिस्ट बताते हैं कि महने साल 2017 में कश्मीर के बाहर ट्यूलिप का ट्राइल चालू किया था, जिसके तहत लाहौल स्पीति के किसानों को भी रंग-बिरंगे ट्यूलिप के कुछ बल्ब दिए गए थे.हम ये जानना चाहते थे कि क्या ये ट्यूलिप वहां की मिट्टी-जलवायु मल्टीप्लाई हो पाते हैं या नहीं.
एक्सपर्ट्स के प्रयास 3-4 महीने में सफल साबित हुए और वहां ऑफसीजन में भी ट्यूलिप अच्छी ग्रोथ करने लगे. इसी ट्राइल के मद्देनजर हमाने पालमपुर में भी अलग-अलग वैरायटी के 40,000 ट्यूलिप बल्ब लगाए हैं. एक्सपर्ट ने बताया कि जहां कश्मीर के ट्यूलिप फ्लावर अप्रैल-मई में खिलते हैं तो वहीं पालमपुर का ट्यूलिप गार्डन फरवरी-मार्च में ही रंग-बिरंगे फूलों की चादर ओढ़ लेता है.
First ever trail of different varieties of Tulip flowers in Ladakh under open as well as protected conditions. @CSIR_IHBT @Ravinder_Dangi1 @lg_ladakh @StanChosphel @ddnewsladakh @ReachLadakhNews @prasarbharti @ANI pic.twitter.com/V2uZwju3yh
— རིག་འཛིན་ཚེ་དབང། Rigzen Tsewang (@RigzenTsewang) December 18, 2022
इन 4 जगहों पर तैयार हो रहे ट्यूलिप गार्डन
सीएसआईआर-आईएचबीटी के साइंटिस्ट ने बताया कि कश्मीर, पालमपुर, लाहौल स्पीति और लेह में ट्यूलिप गार्डन के खिलने का समय अलग-अलग है. यदि आप साल में कई बार ट्यूलिप गार्डन का आनंद लेना चाहते हैं तो सबसे पहले फरवरी-मार्च के बीच पालमपुर जा सकते हैं, जहां नंवबर में ट्यूलिप फ्लावर के बल्ब लगा दिए जाते हैं. इसके बाद अप्रैल से मई के बीच श्रीनगर के ट्यूलिप फेस्ट और जून-जुलाई के बीच लेह या लाहौल स्पीति का रुख कर सकते हैं.
किसानों को दी जाएगी ट्रेनिंग
जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया के 80 फीसदी ट्यूलिप अकेले नीदरलैंड में उगाए जाते हैं और यहीं से देश-दुनिया में निर्यात भी होता है. यदि भारत में भी ट्यूलिप गार्डन विकसित कर लिए जाएं तो किसानों के लिए अच्छी आय और रोजगार का साधन बन सकता है.
अब किसानों को ट्यूलिप फ्लावर की व्यावसायिक खेती करने के लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है. ये ट्यूलिप फ्लावर करीब 25 दिन तक खिलते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स इसे कट फ्लावर के तौर पर प्रमोट कर रहे हैं, जिससे बल्बों की संख्या बढ़ती है. जब फूल खिलना बंद हो जाते हैं तो इसके बल्ब को निकाल कर अगले साल के लिए स्टोर किया जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.