Cucumbers Export From India: देश के किसान खेती कर सालाना लाखों रुपये कमा लेते हैं. गन्ना, गेहूं, मक्का, बाजरा पारंपरिक फसलें ही हैं. देश में बड़े हिस्से में इन फसलों की ही बुवाई की जाती है. इसके अलावा सलाद वाली खेती कर भी किसान मोटी कमाई करते हैं. भारत की फल और सब्जियों का डंका विदेशा में भी बजता है. विदेशों से बड़े बड़े ऑर्डर देश के कारोबारियों को आते हैं. लेकिन इस बार खीरे, ककड़ी की मांग बढ़ और घट रही है.
भारतीय खीरा की मांग बढ़ी, निर्यात में कमी
भारतीय खीरा के खाने के शौकीन एशिया ही नहीं यूरोपीय देशों में भी होते हैं. मार्केट के जानकारों का कहना है कि मांग के अनुसार, खीरा विदेशों को आपूर्ति नहीं हो पा रहा है. खीरे की सप्लाई कम है और इन्वेंट्री खत्म हो गई है. विदेशों में खीरे की मांग और आपूर्ति में लगभग 20 प्रतिशत तक का अंतर आ गया है.
देश में इतने क्षेत्र में होती है खेती
देश में बड़े रकबे में खीरे की खेती होती है. खीरे की आपूर्ति के आधार पर ही विदेशों को निर्यात सुनिश्चित किया जाता है. कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में 60 हजार एकड़ में खीरे की खेती होती है. इसके अलावा उत्तरप्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में भी खीरा उत्पादन किया जाता है. यहां खीरे को अमेरिका, रूस और यूरोप के बाजारों में एक्सपोर्ट किया जाता है.
देश में सुधर रही खीरे की कीमत
विदेशों को खीरा निर्यात न होने के कारण देश में खीरे की कीमतों में सुधार हुआ है. निर्यातक-उत्पादक ऑर्डर बैकलॉग को सुधारने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं. चार महीने में खीरे की जो मांग बनी है. उसे भी दुरस्त किया जा रहा है. वहीं जानकार बताते हैं कि दक्षिण भारत में जो किसान खीरा उगाते हैं. इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रोसेस्ड और निर्यात किया जाता है. यूरोपीय देशों में भारत के खीरे को अचार के रूप में प्रयोग करते हैं.
ऐसी ही निर्यात की स्थिति
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 में जब वित्तीय वर्ष समाप्त हुआ, तब भारत का खीरा निर्यात 11 प्रतिशत घटकर $199.46 मिलियन हो गया. यह पिछले साल के सापेक्ष $223.04 मिलियन से कम था. खीरा समेत प्रसंस्कृत सब्जियों का निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 275 मिलियन डॉलर की तुलना में चालू वित्त वर्ष में $325 मिलियन अधिक है. यूरोप के सूखा प्रभावित होने, यूक्रेन-रूस युद्ध होने के कारण भी खीरे की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
बढ़ गई ककड़ी की मांग
विदेशों में खीरे की आपूर्ति कम होने से सलाद की दूसरी सब्जियों पर विदेशियों की निर्भरता बढ़ने लगी है. भारत में आपूर्ति कम और विदेश में मांग अधिक होने के कारण खीरा विदेशों तक नहीं पहुंच रहा है. इसी कारण अब यूक्रेन और यूरोप के अन्य हिस्सों से मसालेदार ककड़ी की खपत बढ़ी है. हालांकि मसालेदार ककड़ी का उत्पादन भी देश में उतना अधिक नहीं हो रहा है. लेकिन फिर भी खपत सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.