Fruit Tree Plantation: भारत में पांरपरिक फसलों के मुकाबले फल, फूल, सब्जी और औषधि जैसी बागवानी फसलों (Horticulture) का रकबा बढ़ रहा है. अब किसान कम जोखिम और कम मेहनत में अधिक मुनाफा कमाने के लिये बागवानी फसलों (Horticulture crops) का चुनाव कर रहे हैं. इनमें से कुछ फसलें ऐसी भी हैं, जो लंबे समय तक किसानों को मोटा मुनाफा देती रहती है. हम बात कर रहे हैं फलदार पेड़ों (Fruit Tree Plantation) के बारे में, जिनकी सिर्फ प्रबंधन कार्यों (Management in Fruit Gardens) की बदौलत किसानों को मालामाल बना देते हैं.


फलदार पेड़ों में कुछ किस्में ऐसी भी हैं, जो रोपाई के कुछ समय बाद ही फलों से लद जाती है. इन्हीं पेड़ों में पपीता, साइट्रस, बड़ का पेड़, अमरूद और बेर शामिल हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि ये पेड़ तेजी से बढ़ते हैं. इन किस्मों की व्यावसायिक खेती (Commercial Farming of Fruits) या खेतों में ही किनारे-किनारे इनकी बागवानी (Co-cropping of Fruits) करके भी किसान पारंपरिक फसलों से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. 


पपीता की खेती
पपीता के फायदों से भला कौन अंजान है. हर बीमारी में गुणवान और तंदुरुस्ती बढ़ाने वाला ये फल किसानों को कम समय में अच्छा मुनाफा कमाकर दे सकता है. रोपाई के बाद पपीता के पेड़ तेजी से बढ़ता ही है, साथ हर 9 से 11 महीनों में ये फलों से लद जाता है. इसके पेड़ की ऊंचाई 20-25 फीट होती है, जिसकी पत्तियां तक जड़ी-बूटी के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. इसके फलों को अधपका तोड़ा जाता है, ताकि बाजार पहुंचते तक नुकसान ना हो या स्टोरेज में भी इन्हें राइपनिंग विधि से पकाया जाता है.


साइट्रस ट्री 
साइट्रस पेड यानी नींबू का पेड़ भी कमाई के मामले में बाकी फलों का रिकॉर्ड तोड़ रहा है. सालभर इसकी मांग बाजार में बनी रहती है. ये पेड़ तेजी से बढ़ता है और कई सालों तक नींबू का भरपूर उत्पादन देता है. किसानों के बीच इसकी यूरेका और मेयर जैसी किस्में काफी मशहूर हैं, जो विटामिन सी, पोटेशियम, फोलिक एसिड और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं और समय से पहले ही फलों का भंडार खड़ा कर देती हैं. 


केला का पेड़
भारत में सालभर केले की डिमांड रहती है, इसलिये हर किसान को केले की बागवानी पर जरूर गौर करना चाहिये, क्योंकि देश की हर मंडी में केले की खरीद-बिक्री बड़े पैमाने पर होती है. केले के पेड़ को मौसम की अनिश्चितताओं के कारण थोड़ा नुकसान  है, लेकिन टिशू कल्चर को अपनाने पर ये समस्या भी काफी हद तक सुलझ जाती है. इसके फलों के साथ-साथ पत्तों की भी काफी मांग रहती है.


बेर की खेती
बेर का पौधा मुकुट के आकार में बढ़ता है. इसकी झाडियां या शाखायें नीचे की तरफ लटकती रहती है, जिनसे गोल, खट्टे, रसीले और मीठे फलों की उपजस मिलती है. हर खेत में कुछ बेर के पेड़ लगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके सभी फल अलग-अलग समय पर पकते हैं, इसलिये कई बार इनकी तुड़ाई करके बेच सकते हैं. शुरुआत में ये फल खट्टे और हरे रंग वाले होते हैं, लेकिन पकने बाद इनकी मिठास और लालिमा बढ़ जाती है.


अमरूद की खेती
इस खरीफ सीजन (Kharif Season) में किसानों को अमरूद के नये बाग लगाने (Pomegranate Farming) के लिये काफी बढ़ावा दिया जा रहा है. इसकी बागवानी बीज या पौधों की रोपाई करके कर सकते हैं. ये पेड़ थोड़ा समय लेकर पकते हैं, लेकिन इन पेड़ों से 2 से 6 साल के बीच फलों का उत्पादन (Pomegranate Production) मिल जाता है. अमरूद की खेती के लिये कटिंग और ग्राफ्टिंग विधि (Grafting of Pomegranate) को अपनाने की सलाह दी जाती है.


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