Pumpkin Farming: जेबें भर जायेंगी! डबल आमदनी के लिये खेतों में लगायें कद्दू की ये उन्नत किस्में
Pumpkin Cultivation: भारतीय किसानों के बीच भी कद्दू बहुत फेमस है, क्योंकि यह फसल बहुत जल्दी तैयार हो जाती है. इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए उन्नत किस्मों का ही चयन करना चाहिये.
Top Varieties of Pumpkin: कद्दू एक ऐसी सब्जी है जिसे फल और सब्जी दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. इसके जायके कारण इससे व्यंजनों से लेकर कई मिठाईयां भी बनाई जाती है. भारतीय किसानों के बीच भी कद्दू बहुत फेमस है, क्योंकि यह फसल बहुत जल्दी तैयार हो जाती है और इसे कच्चा और पका दोनों तरीके से प्रयोग किया जाता है.
असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में किसान इसकी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए कद्दू की उन्नत किस्मों का ही चयन करना चाहिये.
काशी हरित
हरे रंग और चपटे गोला आकार वाली यह प्रजाति बुवाई के 50 से 60 दिनों के बीच में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म का एक ही फसल करीब 3.5 किलोग्राम का होता है और काशी हरित के एक ही पौधे से चार से पांच फल मिल जाते हैं. प्रति हेक्टेयर खेत में इसकी फसल लगाकर करीब 400 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं
पूसा विश्वास
देश के उत्तरी राज्यों में उगाई जाने वाली कद्दू की पूसा विश्वास किस्म प्रति हेक्टेयर खेत से 400 क्विंटल तक उत्पादन देती है. इसके फलों का रंग हरा होता है, जिन पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. पूसा विश्वास के एक ही फल का वजन करीब 5 किलोग्राम होता है, जो बुवाई के 120 दिनों के अंदर तुड़ाई के लिये तैयार हो जाता है. प्रत्येक प्रति हेक्टेयर जमीन पर इसे उगाकर 400 क्विंटल का क्वालिटी उत्पादन ले सकते हैं.
नरेंद्र आभूषण
इस किस्म के कद्दू का मध्यम गोल आकार होता है, जिसपर गहरे हरे रंग के दाग होते हैं. इस किस्म के फल पकने के बाद नारंगी रंग के हो जाते हैं, जिन्हें उगाकर प्रति हेक्टेयर खेत में 400 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.
काशी उज्जवल
उत्तर और दक्षिण भारत के किसानों के बीच कद्दू की एक किस्म काफी फेमस है. इसके हर पौधे पर 4 से 5 फल लगते हैं और हर एक फल का वजन 10 से 15 किलोग्राम होता है. यह किस्म 180 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है, जिससे प्रति हेक्टेयर खेत में 550 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.
काशी धवन
पहाड़ी इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए काशी धवन कद्दू किसी वरदान से कम नहीं है. बुवाई के मात्र 90 दिनों में तैयार होने वाली ये किस्म 600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है. काशी धवन कद्दू के हर फल का वजन 600 क्विंटल तक होता है.
कद्दू की खेती
कद्दू की खेती गर्म और ठंडी दोनों जलवायु में की जा सकती है, लेकिन तेज धूप और पाला पड़ने पर इसकी कुछ किस्मों में नुकसान भी हो जाता है. दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती के लिये सबसे उपयुक्त रहती है. कद्दू की फसल साल में दो बार लगाई जाती है, जिसमें पहली फसल फरवरी से मार्च और दूसरी खेती जून से अगस्त के बीच होती है. मौसम के अनुसार ही इसकी अलग-अलग किस्मों को लगाया जाता है, जिसमें प्रबंधन कार्य करके अच्छी आमदनी ले सकते हैं.
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