जिस तरह से हर सेक्टर में लोग मुनाफे वाला काम कर रहे हैं, वैसे ही कृषि क्षेत्र में भी अब किसान ऐसी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, जिनकी बाजार में डिमांड ज्यादा हो और जो उन्हें उनकी लागत के मुकाबले अच्छा मुनाफा दे सकें. सफेद बैंगन ऐसी ही एक सब्जी है, जिसमें किसनों को बंपर मुनाफा हो रहा है. काले बैंगन के मुकाबले इस बैंगन का उत्पादन भी ज्यादा होता है और बाजार में इसकी कीमत भी ज्यादा मिलती है. सबसे बड़ी बात की बैंगन कि ये किस्म प्राकृतिक नहीं है बल्कि इसे कृषि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के जरिये विकसित किया है.


कैसे होती है सफेद बैंगन की खेती


आम तौर पर सफेद बैंगन की खेती सर्दियों में होती है, लेकिन अब इसे टेक्नोलॉजी के दम पर गर्मियों में उगाया जाता है. वैज्ञानिकों ने सफेद बैंगन की दो किस्में- पूसा सफेद बैंगन-1 और पूसा हरा बैंगन-1  को विकसित किया है. सफेद बैंगन की ये किस्में परंपरागत बैंगन की फसल के मुकाबले जल्दी पककर तैयार हो जाती है. इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले इसके बीजों को ग्रीनहाउस में संरक्षित हॉटबेड़ में दबाकर रखा जाता है.


इसके बाद इसकी बुवाई से पहले बीजों का बीजोपचार करना होता है. ऐसा करने से फसल में बीमारियों की संभावना खत्म हो जाती है. बीजों के अंकुरण तक बीजों को पानी और खाद के जरिये पोषण दिया जाता है और पौधा तैयार होने के बाद सफेद बैंगन की रोपाई कर दी जाती है. अगर ज्यादा उपज चाहिए तो सफेद बैंगन की बुवाई पंक्तियों में ही करनी चाहिए.


आसानी से होती है सफेद बैंगन की खेती


सफेद बैंगन की बुवाई अगर आप करते हैं तो इसके तुरंत बाद फसल में सिंचाई का काम कर देना चाहिए. इसकी खेती के लिये ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. यही वजह है कि टपक सिंचाई विधि के जरिए इसकी खेती के लिए पानी की जरूरत बड़े आराम से पूरी हो सकती है. हालांकि, मिट्टी में नमी को बनाए रखने के लिये समय-समय पर आपको सिंचाई करते रहें. सफेद बैंगन की उपज को बढ़ाने के लिए जैविक खाद या जीवामृत का प्रयोग करना सही होता है.


इससे अच्छा उत्पादन मिलने में काफी मदद मिल जाती है. इस फसल को कीड़े और बीमारियों से बचाने के लिये नीम से बने जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. आपको बता दें, बैंगन की फसल 70-90 दिनों के बीच पककर तैयार हो जाती है.


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