Vegetable Farming in Hydroponics: दुनियाभर में बढ़ते आधुनिकीकरण (Advanced farming Techniques) का सबसे अच्छा असर खेती-किसानी पर नजर आ रहा है. अब किसान भी खेती की आधुनिक तकनीक और फसलों की उन्नत किस्मों के जरिये नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. इस बीच भारत में भी बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crops Cultivation) के लिये नई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है. खासकर बिना मिट्टी के हाइड्रोपोनिक्स खेती (Hydroponics Farming) करने के लिये किसानों को आर्थिक अनुदान भी दिया जाता है.


ऐसे में किसानों को साधारण सब्जियों के साथ-साथ कुछ विदेशी सब्जियों की खेती (Exotic Vegetable Farming) की तरफ भी रुख करना चाहिये. बता दें कि बड़े शहरों में फाइव स्टार होटल, रेस्त्रां और कैफे में विदेशी किस्म की सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है. शहरों में भी फिटनेस फ्रीक लोगों ने भी आलू-टमाटर की जगह इन विदेशी सब्जियों का सेवन शुरू कर दिया है, जिसके चलते इन सब्जियों की खेती (Vegetable Cultivation) करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है, वहीं इन विदेशी सब्जियों की खेती के लिये हाइड्रोपोनिक्स तकनीकों का इस्तेमाल (Vagetable Farming in Hydroponics) करके मुनाफा काफी हद तक बढ़ा भी सकते हैं. 




रेड स्विस चार्ड (Red Swiss Chard)
रेड स्विस चार्ड एक मंहगी विदेशी सब्जी है, जिसका पौधा दिखने में तो चुकंदर की तरह होता है, लेकिन इसके कंदों से ज्यादा पत्तों की डिमांड रहती है. विटामिन और मिनरल्स के गुणों से भरपूर ये सब्जी सर्द वातावरण में पैदा होती है, जिसके पत्तों का इस्तेमाल सलाद और बर्गर जैसे व्यंजनों में किया जाता है. किसान चाहें तो कम लागत और बिना किसी नुकसान वाली तकनीक हाइड्रोपोनिक्स में रेड स्विस चार्ड की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बता दें कि रेड स्विस चार्ड को फाइव स्टार होटल, रेस्त्रां और कैफे में 600 रुपए प्रति किलो तक खरीदने के लिये तैयार रहते हैं. यह सब्जी मात्र 45 दिनों में तैयार हो जाती है, जिसका एक पौधा 200 से ज्यादा फलों की पैदावार देता है. 


रेड बेसिन  (Red Basil)
ग्रीन बेसिल की तरह ही रेड बेसिल भी एक मंहगी विदेशी सब्जी है, जिसका अनोखा स्वाद इसे बाकी पत्तेदार सब्जियों से काफी अलग बनाता है. बता दें कि थाई, इटालियन और वियतनामी व्यंजनों में रेड बेसिल का खूब प्रयोग होता है. यही कारण है कि भारत के बड़े-बड़े शहरों में अब इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है. विदेशों व्यंजनों की शान बढ़ाने वाली ये सब्जी भी 600 रुपये तक के भाव पर आसानी से बिक जाती है. कम समय में अच्छी पैदावार के लिये इसकी खेती भी हाइड्रोपोनिक्स या पॉलीहाउस में भी कर सकते हैं. 


लोला रोजा (Lola Rosa)
लोला रोजा भी एक पत्तेदार सब्जी होती है, जिसका रंग लाल, हरा और बैंगनी रंग के मेल-मिलावट का ही होता है. यह सब्जी दिखने में जितनी खबसूरत है, स्वाद और सेहत के मामले में भी यह उतनी ही फायदेमंद है. बता दें कि लोला रोजा में विटामिन-ए, विटामिन-सी, फोलेट एसिड और आयरन जैसे गुण के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट तत्व भी मौजूद होते हैं. इस सब्जी का सेवन करने पर शरीर तरोताजा हो जाता है. साथ ही अस्थमा और एलर्जी जैसी समस्यायें भी कंट्रोल रहती है. 500 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिकने वाली लोला रोजा किसानों की आय का जरिया भी बन सकती है. 


ग्रीन स्विस चार्ड  (Green Swiss Chard) 
रेड स्विस चार्ड की तरह ही ग्रीन स्विस चार्ड की पत्तियां (Green Swiss Chards Leaves) भी बर्गर, पिज्जा और पास्ता में इस्तेमाल की जाती है. कई लोग सब्जियों में इसकी गार्निशिंग करते हैं और सलाद के रूप में खाते हैं. बता दें कि ग्रीन स्विस चार्ड की पत्तियों से लेकर तनों में विटामिन समेत कई खनिज तत्व पाये जाते हैं, जो आंखों की सेहत को बरकरार रखते हैं. इस सब्जी को उगाकर पत्तियों और तनों को खाने में और जड़ों को दोबारा खेती के लिये इस्तेमाल कर सकते हैं. इस प्रकार हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics Farming) में ग्रीन स्विस चार्ड की खेती (Green Swiss Chard Cultivation) करके कम खर्च में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. किसान चाहें तो विभिन्न फाइव स्टार होटल, रेस्त्रां और कैफे से कांट्रेक्ट लेकर भी इन सब्जियों की कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming) कर सकते  हैं. 


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