Colorful Cauliflower Cultivation: खेती-किसानी एक अनिश्चितताओं का व्यवसाय है, लेकिन किसान चाहें तो सही फसल का चयन करके भी काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. देश-विदेश में बागवानी फसलों की डिमांड बढ़ती जा रही है. ऐसे में किसानों को साधारण सब्जियों के बजाय कुछ विदेशी और अनोखी सब्जियों की खेती (Exotic Vegetable Farming) पर जोर देना चाहिये, क्योंकि बाजार में भी साधारण फल-सब्जियों के मुकाबले विदेशी सब्जियों की काफी डिमांड है. इसी कड़ी में अब रंगीन फूलगोभी का नाम भी शामिल हो चुका है. पीले, गुलाबी और हरे रंग की फूलगोभी (Colorful Cauliflower Cultivation) अब ग्राहकों के साथ-साथ किसानों को भी अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. ये सेहत के लिये लाभकारी तो है ही, साथ ही कम समय में ही किसानों को अच्छा मुनाफा कमाकर दे सकती है.
रंगीन फूलगोभी की खेती
भारत में कई किसान रंगीन फूलगोभी की फसल लगा रहे हैं. खासकर बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में रंगीन फूलगोभी की खेती से किसानों को काफी अच्छे परिणाम मिले हैं. बता दें कि इसकी खेती के लिये सिंतबर से लेकर अक्टूबर तक नर्सरी तैयार की जाती है और 20 से 30 दिन के अदंर रोपाई का काम किया जाता है. रंगीन फूलगोभी में पीले रंग की फूलगोभी को कैरेटीना (Carotena), गुलाबी रंग की फूलगोभी को एलिनटीला (Alentilla) और हरे रंग की फूल गोभी को ब्रोकली (Broccoli) कहते हैं.
मिट्टी और जलवायु
रंगीन फूलगोभी की खेती करने से पहले मिट्टी की जांच और जलवायु का ध्यान रखना चाहिये. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, रंगीन फूलगोभी के बेहतर उत्पादन के लिये तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिये. वहीं इसकी बुवाई के लिये खेत को जैविक विधि से तैयार करें, जिससे मिट्टी में जीवांशों की संख्या बरकरार रहे. ध्यान रखें कि मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 होना चाहिया. इसके लिये जल निकासी का प्रबंध करके कार्बनिक पदार्थों वाली वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग भी कर सकते हैं.
रंगीन फूलगोभी की बुवाई
रंगीन फूलगोभी की खेती के लिये सबसे पहले नर्सरी तैयार की जाती है. इसके लिये एक हेक्टेयर खेत के हिसाब से 200 से 250 ग्राम बीजों की बुवाई करते है, जिनसे 25 से 30 दिन के अंदर पौधे तैयार हो जाते हैं. इन पौधों को सिंतबर के अंत से लेकर अक्टूबर के बीच खेतों में बैड बनाकर कतार विधि से लगा दिया जाता है. इस दौरान लाइन से लाइन के बीच 60 सेमी. और पौध से पौध के बीच 45 सेंमी का फासला रखना चाहिये. खेतों में पौधों की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई की जाती है, ताकि मिट्टी में नमी कायम रहे.
फसल की देखभाल
बेशक रंगीन फूलगोभी एक विदेशी सब्जी है, लेकिन इसमें कैमिकल फर्टिलाइजर की जगह जैविक खाद का प्रयोग ज्यादा फायदेमंद रहता है. इसकी खेती के लिये गोबर की सड़ी खाद के साथ, वर्मीकंपोस्ट,
- वर्मीवाश जैसे जैव उर्वरक और जीवामृत का भी प्रयोग कर सकते हैं.
- अच्छी पैदावार के लिये खेत तैयार करते समय और रोपाई के बाद 20 दिन बाद पोषण प्रबंधन किया जाता है.
- रंगीन फूलगोभी के बेहतर विकास के लिये हर 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करने की सलाह दी जाती है.
- रंगीन फूलगोभी में खरपतवार नियंत्रण के लिये निराई-गुड़ाई का कम करते रहना चाहिये. इससे कीट-रोगों पर निगरानी भी रहती है.
रंगीन फूल गोभी का उत्पादन
अनुमान के मुताबिक, रंगीन फूलगोभी की पौधों की रोपाई के बाद 100 से 110 दिनों के अंदर फसल कटाई के लिये तैयार हो जाती है, जिसके बाद 200-300 क्विंटल रंगीन फूलगोभी का उत्पादन (Colorful Cauliflower Production) मिल जाता है. इस खेती में करीब 1.5 से 2 लाख रुपये की लागत आ सकती है, जिसकी बिक्री के बाद आराम से 8 से 10 लाख तक का मुनाफा कमा सकते हैं.
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