Lotus Farming: किसानों की मनोकामना पूरी कर सकता है कमल, इस तरह खेती करें तो होगा डबल मुनाफा
Lotus Farming: बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी इलाकों में कमल की खेती के साथ-साथ सिंघाड़ा और मखाना की सह-फसल खेती भी कर सकते हैं. साथ ही मछली पालन करके कुछ हजारों की कमाई लाखों में भी बदल सकता है.
Best Technique of Lotus Farming: भारत के ज्यादातर इलाकों में फूलों की खेती (Flower Cultivation) करने का चलन बढ़ता जा रहा है. खासकर खरीफ सीजन में फूलों की खेती (Floriculure in Kharif Season)करने पर दशहरा-दीवाली तक किसानों की अच्छी आमदनी हो जाती है. बात करें कमल की खेती (Lotus Farming) के संबंध में तो ये फूल बेहद कम लागत किसानों को मालामाल बना सकता है. इतना ही नहीं, खरीफ सीजन में कमल (Lotus Farming Kharif season) की फसल लगाने पर इसके फूल, पत्ती और तने तेजी से बढ़ते है. किसान चाहें तो कम पानी वाले इलाकों में तालाब की जगह खेत में कमल की फसल लगाकर कम समय और खर्च में अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.
खेत में उगायें कमल
कम पानी या कम बारिश वाले इलाकों में कमल की डिमांड को पूरा करना किसानों के लिये काफी आसान हो गया है. इसके लिये तालाब की जरूरत नहीं पडेगी, बल्कि खेत की मिट्टी में ही अच्छी नमी बनाकर कमल का बेहतर उत्पादन ले सकते हैं.
- सबसे पहले मानसून के दौरान खेतों की अच्छी तरह से जुताई करके खेतों में पानी को रोका जाता है.
- इसके लिये खेतों में ऊंची मेड़ बनाकर बारिश का पानी इकट्ठा करते हैं, जिससे कीचड़ तैयार हो जाये.
- इसके बाद कमल के अंकुरित बीज या इसकी कलम लगाकर अक्टूबर तक बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं.
- किसान चाहें तो प्रति एकड़ खेत में कमल के 5 से 6 हजार पौधे लगाकर भी खेती कर सकते हैं.
कमल की खेती से आमदनी
प्रति एकड़ खेत में कमल की खेती करने पर 25 से 30 हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें कमल के पौधे, बीज या कलम के जरिये बुवाई-रोपाई कर सकते हैं.
जुलाई-अगस्त तक कमल की रोपाई करने के बाद अक्टूबर-नवंबर तक कमल की फसल तैयार हो जाती है, जिससे फूल, तना और कमल ककड़ी का उत्पादन ले सकते हैं.
कमल के साथ उगायें सिंघाड़ा और मखाना
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी इलाकों में कमल की खेती के साथ-साथ सिंघाड़ा और मखाना की सह-फसल खेती (Waterchest nut & Makhana farming with Lotus) करने पर कुछ हजारों की कमाई लाखों में भी बदल सकती है. इस तरह कमल की सह-फसल खेती करने के लिये तालाब की जरूरत पड़ती है, क्योंकि मखाना और सिंघाड़ा का अच्छा उत्पादन पानी में ही मिलता है.
इसके लिये अलग से लागत खर्च नहीं करनी पड़ती, बल्कि कमल की खेती में लगने वाले खाद-उर्वरक से ही अच्छा प्रबंधन हो जाता है. इसके अलावा तीनों फसलों की निगरानी भी साथ में हो जाती है.
मछली पालन करके चौगुना आमदनी
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पानी की उपलब्धता या अच्छी वर्षा वाले राज्यों में कमल की खेती के साथ-साथ मछली पालन (Fish Farming with Lotus), सीप पालन और झींगा पालन करके भी सीमित संसाधनों में बढिया आमदनी ले सकते हैं. बस फसल और मछलियों को अच्छे प्रबंधन (Lotus & Fish Farming Management) और सही देखभाल की जरूरत होती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-