गुड़हल का फूल देखने में जितना सुंदर होता है, उसके अंदर मौजूद औषधीय गुण उससे ज्यादा होते हैं. पूरी दुनिया में इस पौधे की 200 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. हालांकि, भारत में लाल वाला गुड़हल ज्यादा दिखाई देता है. वैसे तो गुड़हल के फूल का इस्तेमाल ज्यादातर भारत में पूजा पाठ के लिए होता है, लेकिन आयुर्वेद में इस फूल से कई गंभीर बीमारियों का इलाज भी होता है. आज इस आर्टिकल में हम आपको इसी फूल की खेती के बारे में बताएंगे. आपको जानकारी देंगे कि कैसे आप अन्य फसलों के मुकाबले गुड़हल की खेती करके सालाना अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं.


कैसे होती है गुड़हल की अच्छी खेती


गुड़हल की खेती करने के लिए आपके जमीन की मिट्टी हल्की रेतीली और दोमट होनी चाहिए. दरअसल, इसकी खेती के लिए हल्की नम और सूखी मिट्टी की जरूरत होती है. सबसे बड़ी बात कि आपको इसकी खेती करने से पहले अपने खेत की मिट्टी का संशोधन जरूर करना चाहिए. क्योंकि अगर मिट्टी का पीएच मान 6.5 के आस पास नहीं हुआ तो गुड़हल की खेती उतनी अच्छी नहीं होगी जितनी अच्छी होनी चाहिए.


कैसी जलवायु गुड़हल के पौधे के लिए फायदेमंद होती है


अगर आप गुड़हल की खेती करना चाहते हैं तो आपको जलवायु का पूरा ध्यान रखना होगा. कहते हैं कि गुड़हल के पौधे सूरज की रोशनी में सबसे ज्यादा अच्छे से बढ़ते हैं. हालांकि ज्यादा तेज रोशनी भी इन पौधों को मुरझा देती है. इस पौधे के लिए अगर आइडियल टेंपरेचर की बात करें तो यह 24 डिग्री सेल्सियस के आसपास का होता है. वहीं अगर ज्यादा ठंड की वजह से टेंपरेचर 7 डिग्री सेल्सियस के नीचे गया तो पौधा सूख सकता है.


कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होता है यह पौधा


गुड़हल के फूलों में एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, आयरन और कई प्रकार के मिनरल्स होते हैं. इसके फूल की चाय या फिर काढ़ा शरीर में मौजूद कैंसर सेल्स को पैदा होने से रोकते हैं. यही वजह है कि आयुर्वेदिक पद्धति में गुड़हल के फूलों से कैंसर का इलाज किया जाता रहा है. गुड़हल के फूलों की डिमांड त्योहारों के समय बाजार में तो होती ही है, लेकिन इसके पाउडर और सूखे फूलों की डिमांड साल भर भारत समेत पूरी दुनिया के बाजार में होती है. अगर आप गेहूं और धान के मुकाबले गुड़हल की फसल करें तो यह आपको कई गुना ज्यादा मुनाफा देने में सक्षम है.


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