Doubling taste & Income from Sweet Potato Cultivation: भारत को शकरकंद (Sweer Potato) के 6 वें बड़े उत्पादक के रूप में जानते हैं. वैसे तो इसकी खेती पूरे देश में ही की जाती है, लेकिन उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र में इसकी खेती (Sweet Potato Farming) प्रमुख फसल के रूप में करते हैं. शकरकंद आलू की प्रजाति का ही सदस्य है, लेकिन इसकी खेती बीजों से नहीं, बल्कि कंदों यानी जड़ों से की जाती है. इसकी खेती से अच्छी आमदनी लेने के लिये उपजाऊ जमीन और उचित मात्रा में खाद-उर्वरकों की जरूरत होती है.
क्या है शकरकंद (What is Sweet Potato)
भारत में शकरकंद को सब्जी और फल के रूप में खाया जाता है. कुछ लोग इसे भूनकर तो, कुछ इसे सलाह के रूप में खाना पंसद करते हैं. इसमें मौजूद पोषक तत्वों के कारण बाजार में इसकी काफी डिमांड रहती है. खासकर सर्दियों में लोग शकरकंद को काफी चाव से खाते हैं. इसमें मौजूद विटामिन ए, विटामिन सी और आयरन से सेहतमंद रहने में खास मदद मिलती है.
- शकरकंद जमीन के अंदर पैदा होती है. यही कारण है कि दूसरी फसलों के मुकाबले इसे अधिक मात्रा में पोषण की जरूरत होती है. जैविक खाद और उर्वरकों से इसके पौधों और फलों का बेहतर विकास होता है.
- शकरकंद की फसल (Sweet Potato Crop) को दूसरी फसलों को मुकाबले ज्याद देखभाल की जरूरत होती है. पोषण प्रबंधन के साख-साथ निराई-गुड़ाई और अन्य प्रबंधन कार्यों से इसकी स्वस्थ फसल प्राप्त कर सकते हैं.
शकरकंद की खेती और पोषण प्रबंधन (Fertilizer Management in Sweet Potato)
शकरकंद की खेती से पहले मिट्टी की जांच (Soil Test) करवायें, जिससे फसल और मिट्टी की आवश्यकतानुसार पोषण प्रबंधन और सिंचाई के कार्य किये जा सके.
- किसान चाहें तो प्रति हेक्टेयर खेत में 40 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो पोटाश और 70 किलो फास्फोरस को आखिरी जुताई से पहल मिट्टी में मिला सकते हैं.
- खेत में गहरी जुताईयां लगाकर मिट्टी में कम से कम 25 टन गोबर की सड़ी या कंपोस्ट खाद मिला देनी चाहिये.
- इसकी जडों की रोपाई से पहले शकरकंद की जड़ों का बीजोपचार (Seed Treatment) जरूर करें, इससे फसल के खराब होने के जोखिम कम हो जाते हैं.
- जब मिट्टी अच्छी तरह सूख जाये, तभी इसके कंदों की रोपाई करें और मिट्टी में नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्वों की पूर्ति जरूर करें.
- वैसे शकरकंद की फसल के लिये कार्बनिक पदार्थों वाली कंपोस्ट खाद (Compost Fertilizer) सबसे अच्छी रहती है.
- इसकी खेती के लिये रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) का प्रयोग करनेसे बचना चाहिये, क्योंकि ये मिट्टी की सारी नमी सोख लेती है.
- इसके पौधों के बेहतर विकास के लिये 40 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर में डालने के बाद ही सिंचाई का काम करें.
- शकरकंद की फसल की अच्छी बढ़वार के लिये हर 15 दिन में सिंचाई करनी चाहिये.
- सही देखभाल के बाद 6 महीने के अंदर शकरकंद की फसल (Sweet Potato Production)तैयार हो जाती है, जिसे बाजार में बेचने पर किसानों को अच्छी आमदनी मिल जाती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-
Herbal Farming: बाजार में बढ़ रही है औरिगैनो की मांग, इस तरीके से खेती करके मालामाल होंगे किसान