Nutritious Cereals Cultivation: भारत में मोटे अनाजों (Milltes Cultivation) को सुपरफूड भी कहते हैं. इनमें ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), जौ, कोदो, सामा, सावां, जई, कुटकी, कांगनी और चीना आदि शामिल है. पुराने समय ही भारत की अर्थव्यवस्था में पोषक अनाजों (Nutritious Millet) का अहम रोल रहा है, लेकिन गेहूं-चावल जैसी खाद्यान्न फसलों की उपज बढ़ने के साथ-साथ मोटे अनाजों की खेती (Millets Farming in India) में काफी गिरावट दर्ज की गई है, इसलिये भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) ने साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (International Year of Nutritious Cereals) के रूप में मनाने का समर्थन किया है.
बता दें कि मोटे अनाजों की खेती को कम लागत वाली खेती (Low Cost Farming) भी कहते हैं, जिसके लिये अलग से उर्वरक और कीटनाशक नहीं लगते. साथ ही कम उपजाऊ मिट्टी, पहाड़ी इलाकों और बारिश की कमी के बावजूद इनकी खेती करके कम समय में ही अच्छा उत्पादन मिल जाता है. बाजार में हमेशा इन मोटे अनाज की डिमांड रहती है, जिन्हें बेचकर उत्पादक किसानों को अच्छे दाम भी मिल जाते हैं. यही कारण है कि पर्यावरण के अनुकूल कदन्न यानी मोटे अनाजों की खेती (Nutritious Cereals) छोटे और सीमांत किसानों के लिये वरदान बन सकती है.
ज्वार (Jower)
भारत में उगाये जाने वाले पोषक अनाजों में ज्वार का अहम स्थान है. दुनियाभर में इसकी काफी डिमांड रहती है.इसकी गिनती टॉप 5 अनाजों में की जाती है. इसकी खेती किसानों के लिये मुनाफेदार है ही, साथ ही सेहत के लिये काफी फायेदमंद है. ज्वार में कैल्शियम, फाइबर, पॉपर, आयरन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और लौह तत्व पाये जाते हैं. ज्वार का सेवन करने पर पाचन क्रिया भी बेहतर ढंग से काम करती है. भारत के ग्रामीण देहाती इलाकों में ज्वार की रोटी का सेवन किया जाता है.
बाजरा (Pearl Millets)
भारत में बाजरा की खपत सर्दियों में काफी बढ़ जाती है. राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में खरीफ सीजन के आस-पास बाजरा की खेती की जाती है. इसमें मौजूद प्रोटीन, लौह तत्व, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, कैरोटीन (विटामिन ए) से शरीर स्वस्थ और हड्डियां मजबूत बनी रहती है. इसकी खेती के लिये अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, बल्कि इसकी सिंचाई बारिश पर आधारित होती है.
मक्का (Maize)
देसी-विदेशी व्यंजनों में इस्तेमाल होने के कारण मक्का की डिमांड काफी बढ़ गई है. दुनियाभर के ज्यादातर देशों में मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. मक्का को कच्चा, भुना और आटे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह पोषक अनाज शारिरिक कमजोरी को दूर करके वजन बढ़ाने में मदद करता है. भारत में आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के मैदानी इलाकों में खरीफ सीजन के दौरान मक्का की खेती की जाती है.
रागी (मडुआ)
बहुत ही कम लोग जानते हैं कि रागी (Ragi) एक भारतीय मूल का पोषक अनाज है, जिसकी मांग दुनियाभर में होती है. इसमें कैल्शियम के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाये जाते हैं. भारत में रागी के आटे से रोटी, चीला, खीर, लप्सी और इडली बनाई जाती है. पिछले दिनों पारंपरिक और बागवानी फसलों का रकबा बढ़ने के कारण रागी का उत्पादन क्षेत्र काफी कम हो गया है. भारत में अब इसकी खेती कुछ ही राज्यों तक सिमट कर रह गई है.
कोदो
कोदो के बारे में कम ही लोग जानते हैं. यह एक पारंपरिक अनाज है, जिसकी खेती छत्तीसगढ़ में की जाती है. यह वनवासियों और आदिवासी समाज की थालियों का अहम हिस्सा है. प्रोटीन और वसा से भरपूर कोदो को चावल से ज्यादा बेहतर अनाज मानते हैं. झाड़ी जैसी दिखने वाली कोदो की फसल की खेती के लिये भी अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती. किसान चाहें तो बेहद कम संसाधनों में इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा ले सकते हैं.
जौ
धार्मिक ग्रंथ और वेद-पुराणों के मुताबिक, जौ को दुनिया की पहली फसल (First Crop of World) कहा जाता है. गेहूं और चावल जैसी नकदी फसलों के कारण इसका उत्पादन (Barley crop Production) कम हो गया है, लेकिन पोषण के मामले में जौ का कोई मुकाबला नहीं है. इसे अंग्रेजी में बार्ले कहते हैं, जिसका इस्तेमाल सिर्फ बेकरी (Barley Products) तक ही सीमित हो गया है. इसमें गेहूं से ज्यादा प्रोटीन, फाइबर, एंटी ऑक्सीडेंट और मैग्नीशियम पाया जाता है, जो शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ाते हैं. दूसरे अनाजों के मुकाबले जौ (Barley Cultivation) में अधिक एल्कोहॉल पाया जाता है. जौ का उपयोग दलिया, रोटी और खिचड़ी के तौर पर फायदेमंद रहता है.
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