Thai Apple Ber Cultivation: भारत में विदेशी फलों की खेती की डिमांड देसी फलों से ज्यादा ही होती है. चाहे स्ट्रॉबेरी (Strawberry) हो या फिर ड्रैगन फ्रूट(Dragon Fruit), लोग ज्यादा कीमतों पर भी इन फलों का जायका लेते हैं. ऐसे ही विदेशी फलों में शामिल है थाई एप्पल बेर (Thai Apple Ber), जो दिखने में सेब और स्वाद में बेर की तरह होता है.
थाई एप्पल बेर के एक ही फल का वजन करीब 4- ग्राम से लेकर 120 ग्राम Thai Apple Ber Weight) तक होता है. यह थाईलैंड Thailand Fruit Thai Apple Ber) का फल है, जिसकी बागवानी करना बेहद आसान है. बता दें कि थाई एप्पल बेर में गजब की रोग प्रतिरोधी क्षमता होती है, जिसके चलते फलों में कीट और रोगों का खतरा कम ही होती है.
कम लागत में बंपर मुनाफा
थाई एप्पल बेर की खेती करना बेहद आसान है. किसान चाहें तो 50 से 60 हजार की शुरूआती लागत में इसके पेड़ से हर साल 100 किलो तक उत्पादन ले सकते हैं. बता दें कि बाजार में इसकी मांग (Thai Apple Ber Demand) तो काफी अधिक है, लेकिन छोटे स्तर पर बागवानी होने के कारण थाई एप्पल बेर काफी महंगे बेचे जाते हैं.
एप्पल बेर के लिए मिट्टी
जैसा की बागवानी फसलों की खेती के लिए वर्मी कंपोस्ट की अहम भूमिका होती है. उसी तरह थाई एप्पल बेर के लिए कार्बनिक पदार्थों वाली कंपोस्ट खाद सबसे अच्छी रहती है. किसान चाहें तो क्षारीय और लवणीय मिट्टी में भी एप्पल बेर के पेड़ लगाकर ठीक-ठाक उत्पादन ले सकते हैं. बता दें कि थाई एप्पल बेर की प्रजाति के पेड़ों में सूखा की मार झेलने की शक्ति होती है. यही कारण है.
खेत की तैयारी
दूसरी बागवानी फसलों की तरह ही थाई एप्पल बेर के लिए भी खेत की जुताई करके प्रति पौधा के हिसाब से 5 मीटर दूरी पर 2-2 फीट लंबाई-चौड़ाई वाले वर्गाकार गड्ढों की खुदाई की जाती है. इन गड्ढों में 25 दिन तक सौराीकरण होता है, जिसके बाद 20 से 25 किलो अच्छी सड़ी हुई या कंपोस्ट खाद, नीम की पत्तियां, नीम की खली और कुछ पोषक तत्व मिलाकर गड्ढों में भर दिये जाते हैं. किसान चाहें तो बेहतर उत्पादन के लिये खेत से नमूना लेकर मिट्टी की जांच भी करवा सकते हैं.
पौधों की रोपाई
थाई एप्पल बेर की खेती के लिए कलिकायन यानी कलम विधि का इस्तेमाल करके पौधे तैयार किये जाते हैं. इसके बाद ही जुलाई से लेकर मार्च के बीच थाई एप्प्ल बेर के पौधों की रोपाई का काम कर सकते हैं. बता दें कि 1 बीघा खेत में 15 फीट की दूरी के हिसाब से थाई एप्पल बेर के 80 पौधों की रोपाई कर सकते हैं.
किसान चाहें तो थाई एप्पल बेर के बीच खाली पड़े स्थान पर बैंगन, मिर्च, मटर और मूंग जैसी फसलों की खेती भी कर सकते हैं. इस तरह थाई एप्पल बेर का उत्पादन मिलने से पहले बीच-बीच में खेती की लागत निकल सकते हैं.
एप्पल बेर के लिए पोषण प्रबंधन
वैसे तो थाई एप्पल बेर कम उपजाऊ मिट्टी में भी अच्छा उत्पादन दे सकते हैं, लेकिन मिट्टी की जांच के आधार पर देसी खाद, सुपर खाद, सुपर फास्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश के अलावा नाइट्रोजन उर्वरकों का भी प्रयोग कर सकते हैं.
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो बेर के पौधों की जड़ों में ड्रिप सिंचाई के जरिये पोषक तत्वों की आपूर्ति करके काफी खर्च बचा सकते हैं. इसकी खेती के लिये जीवामृत की मदद से भी पोषण प्रबंधन का काम कर सकते हैं.
थाई एप्पल बेर का उत्पादन
थाई एप्पल बेर की खेती करने के लिए देसी और हाइब्रिड (Hybrid Thai Apple Ber) को प्रजातियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. बता दें कि इस फल की हाइब्रिड प्रजातियों के पौधों की रोपाई करके मात्र 6 महीने के अंदर 100 किलो तक फलों का उत्पादन ले सकते हैं. इसकी रोपाई (Thai Apple Ber Cultivation) के साल भर बाद पौधे के परिपक्व होने पर 20 से 25 किलो तक फलों का उत्पादन मिल जाता है.
बाजार में थाई एप्पल को ₹50 प्रति किलो के भाव (Thai Apple Ber Price) पर बेचा जा सकता है. किसान चाहें तो अगले 50 साल तक थाई एप्पल बेर की फसल से बंपर उत्पादन (Thai Apple Ber Production) लेकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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