अब किसान भाई पारंपरिक फसलों से हटकर कई अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं. जिनसे किसानों अच्छा-खासा मुनाफा भी हो रहा है. अगर आप भी अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आम फसलों को छोड़कर जीरे की खेती कर सकते हैं. ये एक ऐसा मसाला है जो हर घर और हर होटल में इस्तेमाल होता है.


जीरा एक रबी की फसल है जिसे ठंडे मौसम में उगाया जाता है. इसकी खेती के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श होता है. जीरे को रेतीली दोमट मिट्टी में अच्छी जल निकासी के साथ उगाया जाता है. जीरे की फसल 100 से लेकर 120 दिन में तैयार हो जाती है. कटाई के बाद, जीरे को धूप में अच्छी तरह से सुखाया जाता है और फिर भंडारण के लिए एयर टाइट कंटेनर में रखा जाता है. जीरे का पौधा 15 से 50 सेंटीमीटर तक ऊंचा होता है.


होती है तगड़ी कमाई


यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल है. भारत में जीरा अक्टूबर से नवंबर तक बोया जाता है और फरवरी में काटा जाता है. ताजा फसल आमतौर पर मार्च में बाजार में आती है. जीरे की खेती में प्रति हेक्टेयर 30,000 से 35,000 रुपये का खर्च आता है और 40,000 से 45,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है. 5 एकड़ की खेती में 2 से 2.25 लाख रुपये की कमाई की जा सकती है.


होते हैं ये रोग


जीरे में तीन मुख्य रोग होते हैं. इनमें छाचा रोग, झुलसा रोग और उखटा रोग शामिल हैं. ये रोग जीरे की फसल के लिए बहुत हानिकारक होते हैं. जीरे की फसल में रोगों से बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की खाद डालें. यह रोग नियंत्रण का एक आसान उपाय है. जीरे की फसल की अच्छी पैदावार के लिए खेत की सफाई करना और खरपतवार हटाना जरूरी है. गर्मियों में समर डिप फ्लाइंग करने से फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों से बचाया जा सकता है.


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