Dairy Business Scheme: कृषि के साथ-साथ दूध उत्पादन में भी भारत में अपना लोहा मनवाया है. देश सालाना 210 मिलियन टन दूध उत्पादन कर रहा है, जिसमें से 16% योगदान उत्तर प्रदेश का है. राज्य से हर साल करीब 32.8 मिलियन टन दूध उत्पादन मिल रहा है. यूपी के डेयरी सेक्टर का विकास-विस्तार बस यहीं तक सीमित नहीं है. यूपी की नई डेयरी नीति से राज्य के पशुपालन और डेयरी सेक्टर में क्रांति लाने का प्लान है, जिसके लिए दूध के प्रोडक्शन और चारा उत्पादन इकाई के लिए सरकार आर्थिक मदद भी दे रही है. अगले 5 साल में यूपी की डेरी नीति के तहत 5000 करोड़ के निवेश आने की संभावना है, जिससे 1.25 लाख लोगों को रोजगार देने का प्लान है.


दूध प्रोसेसिंग के लिए सब्सिडी 
यूपी की दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पादन प्रोत्साहन नीति के तहत केंद्र सरकार ने किसानों और पशुपालकों की आय को दोगुना करने का प्लान बनाया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य में गायों के संरक्षण दूध के विकास और गायों का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.


इसी कड़ी में योगी सरकार ने निजी और कॉर्पोरेट क्षेत्र में दूध की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने वालों को 15 करोड़ रुपये का अनुदान देने का फैसला किया है. इतना ही नहीं, दूध की प्रोसेसिंग यूनिट उसके विस्तार प्लांट, मशीनरी, तकनीकी, सिविल कार्य और स्पेयर पार्ट्स की खरीद पर भी लाभार्थियों को 10% सब्सिडी यानी 5 करोड़ तक का पूंजीगत अनुदान दिया जाएगा. साथ में 5 सालों के लिए लोन लेने वालों को ब्याज पर 10 करोड़ तक के अनुदान का भी प्रावधान है.


चारा प्रसंस्करण पर सब्सिडी 
यह तो बात हुई दूध की प्रोसेसिंग की, लेकिन राज्य में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी सरकार ने चारा प्लांट के विस्तार का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए लाभार्थियों को पुरानी कार्यों का विस्तार करने और आधुनिक मशीनों की स्थापना के लिए 7 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा. यदि प्रोसेसिंग यूनिट उन्नत किस्म के पशु आहार के निर्माण पर आधारित है तो 7.5 करोड़ रुपये के अनुदान का प्रावधान है.


पशुपालन क्षेत्र का होगा विस्तार 
यूपी की दूध उत्पादन नीति के तहत पशु चारा प्लांट से लेकर रेफ्रिजरेटर वैन, इंसुलेटेड मिल्क टैंक और दूसरे कोल्ड चैन इन्वेस्टमेंट समेत लघु आधारित दूध प्रोसेसिंग के लिए निवेश का लक्ष्य तय किया गया है. यूपी की इस नई दिल्ली नीति का सबसे बड़ा फायदा यही होगा कि जब प्रसंस्करण यूनिट में दूध बेचने पर किसानों को दूध के अच्छे दाम मिलेंगे तो वह अच्छी प्रजाति के दुधारू पशु पालेंगे.


इन पशुओं के पोषण की डिमांड पूरी करने के लिए बाजार में संतुलित एवं पोषक पशु आहार चोकर, चुन्नी, खंडा, खली की मांग बढ़ेगी. इससे चारा इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा. यही वजह है कि सरकार कैटल फीड प्लांट लगाने के लिए अनुदान दे रही है.


केंद्र सरकार भी चला रही है योजना 
कृषि की तरह देश का दूध उत्पादन सेक्टर भी काफी मजबूत बनकर उभर रहा है. केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कई योजनाओं के जरिए डेयरी सेक्टर के विकास-विस्तार का काम कर रही हैं. राष्ट्रीय पशुधन मिशन, डेयरी उद्यमिता योजना और राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसी स्कीम्स भी चलाई जा रही हैं. डेयरी विकास के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत 69.85 करोड रुपये की अनुमानित लागत से कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है. इनमें केंद्र सरकार ने भी 66.48 करोड रुपये का निवेश किया है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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