Dairy Farming: भारत में पशुपालन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है. यहां किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं. इस बीच पशुओं की सेहत का ख्याल रखते हुए बेहतर दूध उत्पादन लेना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण काम हो जाता है. खासकर गाय, भैंस, बकरी और भेड़ जैसे दुधारू पशुओं में बढ़ती बीमारियों के खतरों के कारण दूध उत्पादन (Milk Production)कम होता जा रहा है.
ऊपर से चारा संकट की समस्या के कारण पशुओं को सही पोषण नहीं मिल पाता. ऐसी स्थिति में पशु विशेषज्ञ दुधारू पशुओं को कुछ खास घरेलू चीजें खिलाने की सलाह देते हैं, जिससे कि पशुओं की सेहत की दुरुस्त रहे और उनसे बेहतर दूध उत्पादन भी मिल सके इन दो चीजों में नमक और सरसों का तेल (Mustard Oil) शामिल है.
पशुओं को नमक खिलाने के फायदे
जाहिर है कि शरीर में नमक की कमी के कारण कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं. ठीक वैसा ही पशुओं के साथ भी होता है. नमक पशु और इंसानों के शरीर में आयरन, कॉपर, जिंक, आयोडीन, मैग्नीज, मैग्नीशियम और सेलेनियम जैसे पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है. इससे पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और वे खतरनाक बीमारियों का शिकार होने से बच जाते हैं.
बता दें कि नमक की कमी (Salt Deficiency) के कारण भी कई बार पशुओं में दूध उत्पादन कम हो जाता है. अकसर नमक की कमी के कारण गाय और भैंसों की मृत्यु भी हो जाती है, इसलिये हरा चारा हो या सूखा चारा, दुधारू पशुओं को संतुलित मात्रा में नमक देना अनिवार्य है. इससे पशुओं का पाचन तंत्र को दुरुस्त रहता ही है, साथ ही उनकी भूखी बढ़ती है. भूख बढ़ने से पशु संतुलित मात्रा में पशु आहार का सेवन करते हैं और उनकी दूध देने की क्षमता भी बढ़ जाती है.
सरसों का तेल- खली देने के फायदे
अकसर जलवायु परिवर्तन के कारण देश में पशुओं के हरे चारे की कमी हो जाती है. ऐसे में पशुओं को सिर्फ सूखा चारा खिला कर काम चलाना पड़ता है. इससे पशुओं का पेट तो भर जाता है, लेकिन सूखा चारा दूध उत्पादन को काफी हद तक कम कर देता है. यही कारण है कि सूखे चारे के साथ पशुओं को सरसों का तेल पिलाने या सरसों की खली खिलाने की सलाह दी जाती है. बता दें कि सरसों के तेल में वसा होता है, जो पशुओं के शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है.
खासकर गर्भवती पशुओं को सरसों का तेल पिलाने से छोटे पशुों का विकास बेहतर ढंग से होता है और पशुओं के ब्यांत में भी आसानी रहती है. पशु विशेषज्ञों की मानें तो सरसों का तेल रोज नहीं पिलाना चाहिए, बल्कि जब पशु बीमार हों या उनमें ऊर्जा की कमी हो तब 100 से 200 मिलीलीटर सरसों का तेल पिला सकते हैं. इससे पशुओं की सेहत दुरुस्त हो जाती है और उनमें फुर्ती आने लगती है. सरसों का तेल हो या खली, दोनों से ही पशुओं की रोग प्रतिरोधी क्षमता भी मजबूत होती है. कभी-कभी पुराना पशु चारा खाने से गाय भैंसों के पेट में गैस बन जाती है. ऐसी स्थिति में दुधारू पशुओं को 400 से 500 मिलीलीटर सरसों का तेल पिलाने की सलाह दी जाती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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