Dragon Fruit in Maharastra: देश में कभी सूखा तो कभी असामान्य बारिश किसानों के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है. आज भी महाराष्ट्र बिहार राजस्थान और गुजरात के कई इलाके ऐसे हैं, जहां ठीक तरह से बारिश नहीं होती. यही कारण है कि मिट्टी में नमी की कमी के कारण फसलों की बुवाई नहीं हो पाती और किसान भी समय पर सिंचाई नहीं कर पाते, लेकिन एक ऐसी फसल भी है, जिसको पानी की जरूरत नहीं होती, बल्कि सूखाग्रस्त इलाकों में यह कम लागत में मोटा मुनाफा कमा कर दे सकती है. हम बात कर रहे हैं ड्रैगन फ्रूट की, जो एग्जॉटिक प्रूट कैटेगरी में शामिल है. इसके फायदों को देख केंद्र और राज्य सरकारें भी इसकी खेती को बढ़ावा दे रही हैं. इसकी खेती से सेहत के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति भी बेहतर बन सकती है.


महाराष्ट्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती
महाराष्ट्र का सांगली जिला का सूखा प्रभावित इलाकों में से एक है. कम बारिश के बावजूद यहां कई किसान गन्ना की खेती कर रहे थे, जिसमें पानी की अच्छी खासी खपत होती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां के कई किसानों ने गन्ना, अंगूर, सोयाबीन और सब्जियों की पारंपरिक खेती छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती की तरफ रुख किया है, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सांगली के तौर पर और बाकी गांव में करीब 10 से 15 किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती में जुट गए हैं, कई किसान पिछले 6 साल से ड्रैगन फ्रूट का बंपर प्रोडक्शन ले रहे हैं, उन्हीं में शामिल हैं किसान आनंद राव पवार, नानासाहेब माली और राजाराम देशमुख समेत सांगली के कई किसान.


शुरुआत में होता है अधिक निवेश 
सांगली के तड़सर गांव में पिछले 6 साल से ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले आनंद राव पवार बताते हैं कि शुरुआत में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए निवेश थोड़ा अधिक होता है. उन्हें भी करीब 15 लाख रुपये लगाने पड़े, लेकिन ड्रैगन फ्रूट का अच्छा प्रोडक्शन  लेकर उन्होंने साल भर में ही आधी लागत वसूल कर ली थी. आनंद राव पवार ने बताया कि साल 2013 में सोलापुर के एक किसान से प्रेरणा मिली. ये किसान 1.5 एकड़ खेत में ड्रैगन फ्रूट उगाकर 27 लाख रुपये आमदनी कमा रहा था. इसके बाद साल 2016 में आनंद पवार ने भी इस खेती का मन बनाया. वह बताते हैं कि शुरुआत में सर्फ 200 किलोग्राम प्रोडक्शन मिला, जबकि आज 6 साल बाद वो 8,500 किलोग्राम तक उत्पादन ले रहे हैं. 


खेती में टेंशन नहीं होती 
महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित वांगी गांव के किसान राजाराम देशमुख भी कई सालों से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. उन्होंने अपने 2 एकड़ खेत में ड्रैगन फ्रूट लगाया है. इससे पहले वह गन्ना की पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन आप ड्रैगन फ्रूट से बेहतर उत्पादन लेने के बाद वह पूरी तरह इसकी खेती की तरफ बढ़ना चाहते हैं. राजाराम देशमुख बताते हैं कि सांगली का यह इलाका सूखा प्रभावित रहा है, लेकिन ड्रैगन फ्रूट के लिए हादसे यह उपयुक्त है, क्योंकि इसकी खेती में कम पानी की जरूरत होती है, इसलिए कोई चिंता नहीं रहती.


उन्होंने बताया कि जहां गन्ना से 2 टन प्रति एकड़ उपज मिलती है तो वहीं ड्रैगन फ्रूट की खेती करके वह कम खर्च में ही 15 से 18 टन प्रति एकड़ प्रोडक्शन ले रहे हैं. इससे हर साल 12 से 13 लाख की आमदनी हो रही है. देशमुख बताते हैं कि अगर वह गन्ने की खेती से लागत अलग करके सिर्फ 1 लाख रुपये मुनाफा कमाते थे, लेकिन ड्रैगन फ्रूट की खेती में यह मुनाफा सालाना 8 से  9 लाख रुपये तक बढ़ गया है. 


विदेशों में निर्यात किया ड्रैगन फ्रूट 
भारत में ड्रैगन फ्रूट एग्जॉटिक फल कहते हैं. पिछले कुछ सालों मे किसानों ने ना सिर्फ इसका काफी अच्छा उत्पादन लिया है, बल्कि अब इस विदेशी फल का निर्यात भी विदेशों में किया जा रहा है. वांगी और तड़सर गांव के आनंद राव पवार और राजाराम देशमुख आज ड्रैगन फ्रूट की खेती से काफी अच्छा कमा रहे हैं. यह वही किसान हैं जिन्होंने साल 2021 में अपनी खेत से निकले ड्रैगन फ्रूट को दुबई में निर्यात किया था. वहीं राजाराम देशमुख ने भी इस साल करीब 50 किलोग्राम ड्रैगन फ्रूट न्यूजीलैंड को निर्यात किए हैं. आज महाराष्ट्र के सांगली का ड्रैगन फ्रूट हैदराबाद, बेंगलुरु और गुवाहाटी में तक पंसद किया जा रहा है.


अंगूर की जगह लगाए ड्रैगन फ्रूट 
महाराष्ट्र के सांगली जिले के किसान राजाराम देशमुख और आनंद पवार को देख कर आज महाराष्ट्र के कई किसान ड्रैगन फ्रूट की तरफ बढ़ रहे हैं. इस साल मौसम की अनिो श्चितताओं के कारण वांगी के दूसरे किसान नानासाहेब माली ने भी अंगूर के खेतों को हटाकर ड्रैगन फ्रूट की फसल लगा दी है. नानासाहेब माली बताते हैं कि सूखा और असामान्य बारिश के कारण उन्होंने अंगूर की खेती में काफी नुकसान झेला है. वहीं ड्रैगन फ्रूट की खेती में ओलावृष्टि बारिश या सूखा से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता, इसलिए उन्होंने 2021 में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की और अब वो इसे 2 एकड़ तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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