Bio-Decomposer Spray: धान को खरीफ सीजन की प्रमुख नकदी फसल कहते हैं, जिसकी कटाई के बाद खेतों में बची ठूंठ और पुआल का प्रबंधन (Stubble Management) करना चुनौतीपूर्ण काम हो जाता है. कई किसान इसका प्रसंस्करण करके जैविक उत्पाद भी बनाते हैं. वहींं कुछ किसान धान की पुआल पर डी-कंपोजर का छिड़काव (Decomposer for Paddy Straw) करके खाद बना लेते हैं. धान की पराली के कारण प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिये केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर अभियान चलाती हैं, ताकि पराली को बिना जलाये खेतों में ही इस्तेमाल किया जा सके.


इसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने धान के किसानों को डी-कंपोजर का निशुल्क (Free Decomposer Spray) छिड़काव करने की सुविधा दी है. रिपोर्ट की मानें तो आने वाले समय में दिल्ली के आसपास के इलाकों में धान के पुआल का प्रबंधन (Paddy Straw Management) करने के लिए सरकार द्वारा मुफ्त डी-कंपोजर का छिड़काव किया जायेगा. इससे पर्यावरण प्रदूषण (Pollution ion Delhi) रोकने में भी मदद मिलेगी और खेतों मैं जैविक खाद की आपूर्ति भी हो जाएगी.


इस तरह मिलेगा फायदा 
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो हाल ही में राज्य विकास, विभाग राजस्व विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा (ICAR, Pusa) के अधिकारियों ने एक संयुक्त बैठक की, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली के किसानों को किसानों को बासमती और गैर बासमती धान के अवशेषों के प्रबंधन हेतु निशुल्क डी-कंपोजर के छिड़काव की सुविधा दी जाएगी. इस काम के लिए राज्य के किसानों से फॉर्म भी भरवाए जाएंगे. साथ ही दिल्ली सचिवालय में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर ट्रेनिंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा.


पर्यावरण के लिए फायदेमंद
धान की पराली पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. यह पूरी तरह से इसके प्रबंधन पर निर्भर करता है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Environment Minister Gopal Rai) ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया दिल्ली के कई हिस्सों में बासमती धान और गैस बासमती धान की खेती (Basmati Rice Cultivation) की जाती है. पिछले साल भी किसानों को निशुल्क डी-कंपोजर के छिड़काव की सुविधा दी गई थी, जिसके परिणाम काफी सकारात्मक रहे. इसी तर्ज पर अब इस साल भी सरकार की ओर से दोबारा डी-कंपोजर के छिड़काव (Decomposer Spray) का जिम्मा उठाया गया है.


कुछ सालों पहले धान की पराली को जला दिया जाता था, जिसके कारण भयंकर मात्रा में प्रदूषण होता था. इसी समस्या की रोकथाम के लिए डी-कंपोजर (Pusa Decomposer)  का आविष्कार किया गया. बता दें कि धान या किसी भी फसल की कटाई (Paddy Harvesting) के बाद बची पराली पर डी-कंपोजर का छिड़काव (Decomposer for Stubble Management)  कर सकते हैं. ये डी-कंपोजर फसल के अवशेषों को खाद में तब्दील कर देता है, जिससे मिट्टी को पोषण मिलता है और खेती की लागत भी कम हो जाती है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़ें:-


Medicinal Plants Cultivation: औषधीय पौधों की खेती से मिलेगी दवाई भी-कमाई भी, 75 फीसदी तक सब्सिडी भी देती है सरकार


Home Gardening: क्या कमल का पौधा घर में लगा सकते हैं? अगर हां, तो इसके लिए कितने बड़े टैंक की जरूरत होगी