Crop Residue Management: भारत में धान की कटाई के बाद बची पराली बड़ी आफत है. सरकार की ओर जारी गाइडलाइंस के बावजूद दिल्ली के नजदीकी गांव, हरियाणा और पंजाब में लगातार पराली जलाने के मामले दर्ज किये जा रहे हैं. इस समस्या की रोकथाम के लिये अब दिल्ली सरकार खुद आगे आई है और किसानों के खेतों में पड़ी पराली को निपटाने का फैसला किया है. इस योजना के तहत करीब 5 हजार एकड़ से ज्यादा खेतों की पराली निपटाने के लिये मुफ्त में बायो डीकंपोजर (Bio Decomposer) का छिड़काव किया जायेगा.
इस योजना पर काम शुरू हो चुका है और दिल्ली के बुराड़ी गांव में पराली को गलाने के लिये बायो-डीकंपोजर का छिड़काव भी किया जा रहा है. इससे कुछ ही दिनों में पराली खाद में तब्दील हो जायेगी और खेती की उपजाऊ शक्ति बढ़ायेगी. दिल्ली सरकार के इस नेक कदम से राज्य में प्रदूषण (Delhi Pollution) की समस्या को हल करने में काफी मदद मिलेगी.
दिल्ली में बायो-डीकंपोजर का छिड़काव
जाहिर है कि सर्दियां आते-आते दिल्ली में स्मॉग (Delhi Smog) बढ़ने से सांस लेने में दिक्कत और तमाम सेहत से जुड़ी समस्या होने लगती है. इस दमघोंटू प्रदूषण की रोकथाम के लिये दिल्ली सरकार 13 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान पर काम कर रही है. राज्य सरकार ने दिल्ली के नजदीकी गांव में डीकंपोजर के मुफ्त छिड़काव के लिये किसानों से फॉर्म भरने को भी कहा है. साथ करीब 21 टीमों का गठन किया गया है, जो बासमती और गैर बासमती धान की पराली को गलाने के लिये मुफ्त में डीकंपोजर का छिड़काव करेंगी.
गेहूं-धान की कटाई के बढ़ती है परेशानी
वैसे तो ज्यादातर फसलों के अपशेषों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के तौर पर कर लिया जाता है, लेकिन धान और गेहूं की पराली सख्त होने के कारण इससे भूसा तैयार करना भी बड़ी आफत का काम होता है. यही कारण है कि हर साल खरीफ सीजन के धान और रबी सीजन के गेहूं की कटाई के बाद पराली जलाने के मामले काफी बढ़ जाते हैं, हालांकि पिछले कुछ सालों में पूसा-डीकंपोजर आने के बाद से पराली जलाने के मामलों में काफी गिरावट दर्ज की गई है. बीते वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल ही पराली के कारण प्रदूषण के मामले कम ही देखे गये हैं. इन्हीं सकारात्मक परिणामों के मद्देनजर अब दिल्ली सरकार ने मुफ्त में डीकंपोजर का छिड़काव करवाने का फैसला लिया है.
यहां करें आवेदन
जो भी किसान अपने गांव और खेतों में पराली को गलाने के लिये डीकंपोजर का मुफ्त छिड़काव करवाना चाहते हैं, उन्हें इस सुविधा के लिये रेवेन्यू डिपार्टमेंट के जरिए फॉर्म भर कर आवेदन करना होगा. अभी तक इस काम के लिये करीब 957 किसान या 25 फीसदी आवेदन प्राप्त किये जा चुके हैं. साथ ही किसानों को लगातार इस अभियान से जुड़ने और फ्री में पराली की समस्या को हल करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है.
क्या है पूसा डिकंपोजर
पूसा डीकंपोजर (Pusa Bio Decomposer) एक जैविक पाउडर-लिक्विड है, जिसे पानी के साथ घोलकर पराली पर छिड़का जाता है. पूसा संस्थान ने ही इस बायो-डीकंपोजर का आविष्कार किया है, जो अब दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम करने के लिये वरदान बनता जा रहा है. धान की कटाई के बाद मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है और पराली निपटाना भी बड़ी चुनौतीपूर्ण काम बन जाता है. ऐसे में इस बायो डीकंपोजर के छिड़काव से पराली गलकर खाद बन जाती है और खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़ा देती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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