कोरोनावायरस के नए वेरिएंट BF.7 का कहर चीन, जापान अमेरिका समेत पूरी दुनिया में है. लोग इससे बचने के तमाम तरीके आजमा रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा कारगर तरीका है अपनी इम्युनिटी को मजबूत करने का. ऐसे में अपनी इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए लोग तरह-तरह के कांढ़े का इस्तेमाल कर रहे हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कोरोनावायरस की वजह से किन आयुर्वेदिक औषधि जड़ी बूटियों की मांग बाजार में तेज हुई है और अगर आप इनकी खेती करते हैं तो कैसे लाखों रुपए महीने कमा सकते हैं. सबसे बड़ी बात कि इन जड़ी-बूटियों की मांग सिर्फ कोरोनावायरस के दौरान ही नहीं, बल्कि हमेशा बाजार में रहती है. अगर आप बड़े स्तर पर इनका उत्पादन करते हैं तो इन्हें विदेशों में भी एक्सपोर्ट कर सकते हैं, जिससे आपका मुनाफा और भी ज्यादा होगा.


अश्वगंधा की खेती


अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसे लोग इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर जानते हैं. इसके चूर्ण का प्रयोग लोग रात में सोते समय दूध के साथ करते हैं. यह आपके शरीर में इम्युनिटी को बूस्ट करता है. इसके पौधे झाड़ीदार होते हैं और इसकी जड़ से अश्व जैसी गंध आती है, इसलिए इसे अश्वगंधा कहते हैं. इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है. अगर आप अश्वगंधा की खेती करते हैं तो आपको लागत का तीन गुना लाभ मिल सकता है. सबसे बड़ी बात की ये लाभ उन दिनों का है जब इसकी मांग उतनी नहीं होती, सोचिए कोरोना के समय जब इसकी मांग इतनी ज्यादा है, तब इससे आप कितना मुनाफा कमा सकते हैं. अश्वगंधा की बुआई जुलाई से सितंबर के महीने में होती है. हालांकि, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर कुछ किसान इसे पूसे साल उगाते हैं.


मूसली की खेती


मूसली आयुर्वेद में औषधीय गुणों का खजाना मानी जाती है. दुनिया भर के दवाई निर्माता इसकी खरीद करते हैं. इसी वजह से इसकी मांग हमेशा बनी रहती है. हालांकि, मांग के मुकाबले इसका उत्पादन इतना ज्यादा नहीं होता. लेकिन अब भारत के कई राज्यों में किसान सफेद मूसली की खेती करने लगे हैं. सबसे अच्छी बात की सफेद मूसली की खेती के लिए सरकार अनुदान देती है, जिसके बारे में आप अधिक जानकारी जिला उद्यान कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं. अगर आप इसकी खेती करते हैं तो सालाना एक एकड़ में सफेद मूसली की कृषि करके 5 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं. मूसली के बुआई की बात करें तो यह जुलाई में लगाई जाती है. लगाने के तुरंत बाद इसकी सिंचाई करनी पड़ती है. आप इस फसल की कटाई मार्च अप्रैल में कर सकते हैं.


हल्दी की खेती


वैसे तो हल्दी की डिमांड बाजार में हमेशा रहती है, लेकिन इन दिनों कच्ची हल्दी की मांग बाजार में कुछ ज्यादा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है इसके औषधीय गुण. अगर आप हल्दी की खेती करते हैं, तो इसमें कोई शक नहीं कि आपको अच्छा मुनाफा होगा. भारत में मुख्यत: गुजरात, मेघालय, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, असम आदि में हल्दी की खेती की जाती है. हालांकि, अब यूपी बिहार के किसान भी हल्दी की खेती करने लगे हैं. इसकी बुआई अप्रैल से शुरू हो जाती है. 


गिलोय का उत्पादन


कोरोना महामारी में ऐसे पौधों की मांग बढ़ गई है जिनमें औषधीय गुण हैं. गिलोय में तो औषधीय गुणों की भरमार है. आपने देखा ही होगा कि कैसे बीते तीन सालों में गिलोय की मांग बढ़ी है. लोग इसे खरीदने के लिए मुंह मांगी रकम दे रहे हैं. आपको याद होगा कोरोना की शुरुआत में इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए लगभग हर कोई गिलोय का जूस पी रहा था, या फिर उसे काढ़े के तौर पर इस्तेमाल कर रहा था. बात करें अगर गिलोय की खेती की तो गिलोय की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में संभव है. हालांकि, अगर आपके जमीन की मिट्टी बलुई दोमट मिट्टी हो तो इसका विकास तेज़ी से होता है. गिलोय की खेती के लिए फरवरी से लेकर सितंबर तक का महीना बढ़िया होता है. बस एक बात का ध्यान रखें कि जहां गिलोय का पौधा लगा रहे हैं, वहां पानी ना जमा होने दें. बाजार में इसकी मांग बहुत है, अगर आप इसकी खेती करते हैं, तो आप कुछ ही समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.


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