कभी अपने आतंकवाद के चलते विश्व में सुर्खियां बटोर ने वाला अफगानिस्तान इस समय एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. जिससे बड़े से बड़े देश को सीख लेनी चाहिए. अफगानिस्तान की ओर से किया जा रहा ये काम वहां रहने वाले लोगों को एक नया जीवनदान देगा. किसानों के जीवन में खुशहाली आएगी और देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.


दरअसल, अफगानिस्तान का एक बड़ा इलाका रेगिस्तान है. साथ ही देश के कई इलाकों में पानी की कमी है, जिससे वहां सूखे जैसे हालात हैं. जिसे वहां की सरकार अब वह हरा भरा बनाने में जुट गई है. सरकार आमू दरिया से एक कैनाल निकाल रही है जिसकी लंबाई करीब 285 किलोमीटर है. इस नहर को कोश टेपा कैनाल (Qosh Tepa Canal) नाम दिया गया है. जो कलदार से शुरू होकर बल्ख प्रांत तक जाएगी. जिन इलाकों ये कैनाल कवर करेगी वहां एक बड़े भाग में रेगिस्तान जिस वजह से वहां खेती कर पाना सम्भव नहीं है. लेकिन अब सरकार की तरफ से किए जा रहे है इस कैनाल निर्माण से वहां का इलाका हरा भरा हो जाएगा.


किसान इस नहर के पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए लेंगे. पानी आने के बाद इन इलाकों में गेहूं समेत अन्य कई फसलें उगाई जाएंगी. साथ ही यहां होने वाले अनाज व अन्य फसलों को अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट किया जाएगा. इस नहर के किनारों पर पौधे लगाने का काम भी शुरू हो गया है. नहर बनने के बाद वाटर पम्पस की मदद से खेतों तक पानी पहुंचाया जाएगा.



लैंड लॉक्ड है अफगानिस्तान


रिपोर्ट्स के अनुसार फिलहाल 100 से ज्यादा किलोमीटर तक इस नहर की खुदाई का काम पूरा भी हो गया है. हालांकि इसमें काफी परेशानियां सामने आ रही हैं. इससे कैनाल निर्माण की वजह से उज्बेकिस्तान में पानी की कमी हो सकती है. लेकिन इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए हर कदम उठाया जा रहा है. बताते चलें कि अफगानिस्तान एक लैंड लॉक्ड देश है. इस देश का कोई हिस्सा समुद्र से टच नहीं होता है.


तुर्कमेनिस्तान भी बना चुका है रेगिस्तान में कैनाल


अफगानिस्तान से पहले इस तरह का कारनामा तुर्कमेनिस्तान ने भी किया था. इस देश ने डेजर्ट ने काराकुम नहर का निर्माण किया था. ये दुनिया की सबसे बड़ी सिंचाई और पानी की आपूर्ति करने वाली नहरों में से एक है. इस नहर की मदद से काराकुम के रेगिस्तान में पानी पहुंचाया गया. जहां अब बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. काराकुम नहर का निर्माण कार्य 1954 में शुरू हुआ था. जो साल 1988 में पूरा हो गया था. इसकी लंबाई 1,375 किलोमीटर है. इस कैनाल के लिए आमू दरिया सेपानी लिया जाता है.



यह भी पढ़ें- KCC: सावधान! इन किसानों को नहीं मिलेगा किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम का फायदा