(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Cows Farming: रिसर्च में पता चला... पश्चिमी देशों की तुलना में दमदार हैं भारत की ये देसी गाय
भारत में देसी गायों की जीनोम सिक्वेसिंग की गई हैं. इनमें पश्चिम में पलने वाले गायों की तुलना में प्रतिरोधक तंत्र अधिक मजबूत मिला है. इसके अलावा अन्य गुण भी देसी गायों के मिले हैं.
Desi Cows Farming In India: भारत में बड़ी संख्या में लोग पशुपालन करते हैं. पशुपालन से कमाई भी अच्छी खासी हो जाती है. गाय का दूध स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. गौ पालन को हर राज्य सरकार बढ़ावा भी दे रही है. अब गो को लेकर नई रिसर्च सामने आई है. रिसर्च में सामने आया कि भारत में पलने वाली देसी गायों में अन्य गायों की तुलना में कई गुण अधिक पाए जाते हैं. इस नई रिसर्च में देसी गायों को लेकर कई और रोचक तथ्य सामने आए हैं.
चार देसी गायों की हुई जीनोम सिक्वेसिंग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गायों को लेकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च(आइसर) ने शोध किया. रिसर्च में गायों की चार देसी नस्लों को शामिल किया गया. इनमें कासरगौड बोना, कासरगौड कपिला, वेचुर और आंगेल पर रिसर्च की गई. चारों गायों की जीनोम सिक्वेंसिंग कराने में ऐसे ही हैरानजनक तथ्य सामने आए. इस रिसर्च को प्रीप्रिंट सर्वर बायोआरएक्सआईवी में प्रकाशित किया गया है.
देसी गायों में क्या खास मिला?
आईसर भोपाल के जैविक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनीत के शर्मा ने बताया कि भारतीय गायों की देसी नस्लों में विशिष्ट जीन की पहचान की गई है. इनमें पश्चिमी देशों के मवेशियों की जींस की तुलना में अनुक्रमिक और संरचनात्मक भिन्नता देखी गई है. शोध में सामने आया है कि भारतीय नस्ल की देसी गायें उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में भी बेहतर जीवन जी सकती हैं. इनमें अन्य प्रजातियों की तुलना में बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी अधिक देखी गई है.
क्या होगा फायदा
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के जीनोम सिक्वेसिंग से गायों के प्रजनन और प्रबंधन को सुधारने में मदद मिल सकती है. भारत के मवेशी कारोबार में दुग्ध उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा. रिसर्च में सामने आया कि देसी गायों में खराब गुणवत्ता वाले भोजन को पचाने की क्षमता भी अधिक होती है. ये प्रजाति बीमारियों के खिलाफ लड़ने में अधिक कारागर है. इससे भारत में देसी गो पालन को बढ़ावा मिल सकेगा.
क्या होती है जीनोम संरचना
जीन किसी भी व्यक्ति या पशु की डीप मैमोरी होती है. पूर्वजों के गुण और दोष का लेखाजोखा जीन में छिपा होता है. जीन जैसी छोटी इकाइयों की संरचना को जीनोम कहा जाता है. जीवों के विकसित होने, बढ़ने और अन्य तरह की जानकारियां जीन में ही दर्ज होती हैं. जीन से ही किसी बीमारी से लड़ने के बारे में सही जानकारी ली जा सकती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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