इस तरह बनता है व्रत का साबूदाना, बस खाने से पहले असली-नकली की पहचान कर लें, बड़ी मिलावट चल रही है
How Sabudana Made : ये दिखने में तो असली लगेगा, लेकिन टूटे चावल, आर्टिफिशिल स्टार्च, कैमिकल और प्लास्टिक से बनाने के बाद इसमें मोतियों सी सफेद चमक लाने के लिये कैमिकल की पॉलिश भी की जा रही है.
Real And Fake Sabudana: त्यौहार, व्रत और उपवास में लोग साबूदाना का सेवन करते हैं. वैसे तो साबूदाना (Sabudana) सेहत के लिये बहुत हेल्दी होती है, लेकिन इन दिनों साबूदाने की बढ़ती खपत के बीच बाजार में नकली साबूदाना भी बिक रहा है. ये दिखने में तो असली लगेगा, लेकिन टूटे चावल, आर्टिफिशिल स्टार्च, कैमिकल और प्लास्टिक से बना ये साबूदाना (Fake Sabudana) सेहत को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. इसमें मोतियों सी सफेद चमक लाने के लिये कैमिकल की पॉलिश भी की जा रही है, जिसे सिर्फ देखकर नहीं पहचान सकते, इसलिये सैंपल घर लाकर इन उपायों की मदद से आसानी से जांच (Sabudana Check) कर सकते हैं.
चबाकर कर देखें.
साबूदाना असली है या नकली, इसकी पहचान के लिये दो-तीन दानों को चबाकर भी देख सकते हैं. इसके बाद अगर साबूदाना किरकिरा महसूस होता है तो समझ जायें कि साबूदाना नकली है. बता दें कि असली साबूदाना चबाने के बाद स्टार्च छोड़ता है और दातों में भी चिपक जाता है. असली साबूदाना पानी के संपर्क में आते ही नरम भी हो जाता है.
जलाकर देखें
आजकल साबूदाने में चावल और प्लास्टिक की मिलावट भी चल रही है, जिसका सेवन करना खतरे से खाली नहीं होता. ऐसे में साबूदाना जलाकर भी देख सकते हैं. इसके लिये थोड़ा सा साबूदाना लेकर आग में डाल दें. इस बीच यदि जलने के बाद साबूदाना फूल जाता है तो ये असली और शुद्ध है. अगर जाने पर साबूदाना अजीब सी महक और धुआं छोड़ता है तो समझ जाइये कि साबूदाना नकली है.
कैमिकल की पॉलिश
पुराने और खराब साबूदाने को चमकाने के लिये कई बार आर्टिफिशियल रंग और सफेज एजेंट्स की पॉलिश की जा रही है, इसलिये ज्यादा चमकदार साबूदाना भी नहीं खरीदना चाहिये.
साबूदाने का असल रंग ऑफवाइट होता है, जो पानी को सोखकर कुछ समय के अंदर फूलने लगता है. वहीं नकली साबूदाना रंग छोड़ता है.
कैसे बनता है साबूदाना
कई लोग साबूदाना को शुद्ध नहीं मानते, क्योंकि यह कसावा(Cassava), सागो यानी टैपिओका स्टार्च (Tapioca Starch) से बनाया जाता है. वैसे को साबूदाना में कैल्शियम और कार्बोहाइड्रेट की अच्छी-खासी मात्रा होती है, लेकिन इसे बनाने के लिये कसावा के फलों को कई दिनों तक पानी में रखा जाता है, जिसके बाद पानी सड़ जाता है और उसमें कीड़े लग जाते है, इसलिये कई लोग इसे नहीं खाते, लेकिन आज तकनीक और मशीनें आ जाने से साबूदाना (Sabudana) काफी शुद्धता से बनाया जा रहा है. इसकी शुद्धता की पहचान करने में ये उपाय काफी मददगार साबित होंगे.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-
Food Identification: नकली घी से सावधान! त्योहार पर दिवाला निकाल देगा ये जहरीला घी, ऐसे करें पहचान
Food Identification: दिवाली पर आपके घर भी पहुंचेगी ये रंग-बिरंगी Artificial मिठाई, सड़े तेल में बनती है, इस तरह करें पहचान