Rain Based Agriculture Advisory: मानसून (Monsoon 2022) का मौसम खरीफ फसलों (Kharif Season) की खेती के लिये अहम माना जाता है, इसलिये खेती में जोखिमों को कम करने के लिये समय-समय कृषि विशेषज्ञों की ओर से परामर्श (Rain Based Agricultutre Advisory) जारी किये जाते हैं. इस सप्ताह जारी परामर्श के अनुसार खरीफ फसलों में प्रबंधन कार्यों (Crop Management in Kharif Crop) को करते समय खास सावधानी बरतने की जरूरत हैं.
- इस समय खरीफ फसलों में खरपतवारों, कीड़े और बीमारियों की संभावनायें ज्यादा होती है. ऐसी स्थिति में निगरानी बढ़ा दें और फसल में निराई-गुड़ाई कार्य भी कर लें.
- खासकर सब्जी फसलों में निराई-गुड़ाई करने के बाद नाइट्रोजन या यूरिया का छिड़काव अवश्य करें, जिससे फसलों को भरपूर पोषण मिल सके.
- दलहनी फसलों, सब्जी की नर्सरी और दूसरी प्रमुख फसलों के खेतों में जल निकासी का काम करें, जिससे फसलों में जल भराव की समस्या को रोका जा सके.
- कीट नियंत्रण और पोषण प्रबंधन का काम बारिश रुकने के बाद ही करें, जिससे पौधों की सुरक्षा के लिये जरूरी पोषण और दवा पानी के साथ न बह सके.
- खासकर धान की रोपाई करते समय सावधानियां बरतें और खेत में पौध की रोपाई से पहले ही पत्तियों को ऊपर से 2-3 इंच काट दें.
धान की खेती के लिये कृषि वैज्ञानिकों सलाह (Expert's Advice for Paddy Cultivation)
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा (ICAR-IARI, Pusa) के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जारी मौसम आधारित कृषि सलाह(Weather Based Agro Advisory) के मुताबिक धान की रोपाई (Paddy Plantation) के समय खेत में 2.5 सेमी. पानी भरा होना चाहिये.
- धान की रोपाई कतारों में करें. इस दौरान लाइन से लाइन के बीच 20 सेमी. की दूरी और पौध से पौध के बीच 10 सेमी. का फासला रखें.
- खेत में पौधों की रोपाई से पहले पोषण प्रबंधन जरूर कर लें, जिसके तहत 100 किग्रा. नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फास्फोरस, 40 किग्रा. पोटाश और 25 किग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर खेत में डालें.
- किसान चाहें तो अजोला या नील हरित शैवाल का एक पेकेट प्रति एकड़ खेत में डाल सकते हैं, जिससे मिट्टी और फसल में नाइट्रोजन का संचार बढ़ सके.
मक्का की बुवाई और प्रबंधन (Maize Cultivation & Management)
मानसून की तेज बारिश के बीच मेड़ों पर मक्का की बुवाई करना फायदेमंद रहेगा. फसल में कृषि कार्य बेहतर ढंग से किये जा सकें, इसलिये मक्का की बुवाई कतारों में करें.
- खेत में मक्का की बुवाई प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा. बीजदार काफी रहती है. बुवाई के लिये लाइनों के बीच 60 से 75 सेमी और पौधों के बीच 18 से 25 सेमी. का फासला जरूर रखें.
- फसल में खरपतवारों के अग्रिम समाधान के लिये खेत में एट्राजिन दवा की 1 से 1.5 किग्रा मात्रा को 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर फसल पर छिड़काव करें.
फूलगोभी और मिर्च की खेती के लिये सही समय (Cauliflower & Chili Cultivation)
यह समय फूलगोभी और मिर्च की बुवाई और रोपाई के लिये सबसे उत्तम है. इस दौरान मेड़ों पर, बेड़ बनाकर या या ऊंची क्यारियां बनाकर ही तैयार पौधों की रोपाई करें.
- सब्जियों के खेत में पहले से ही जल निकासी का प्रबंध कर लें, जिससे सब्जियों की फसल में पानी का जमाव न हो.
- इस समय कद्दूवर्गीय और बेलदार सब्जियों की खेती करने पर पौधों का तेजी से विकास होता है.
- जिन किसानों ने पहले ही बेलदार सब्जियों की बुवाई-रोपाई कर ली है, वे मचान और स्टेकिंग विधि से बेलों को ऊपर चढ़ाने का काम कर लें, जिससे लताओं को सडन-गलड़, कीट और बीमारियां लगने से बचा सकें.
फसलों में करें कीट नियंत्रण (Pest Control & Crop Management for Vegetable Farming)
खरीफ सीजन की फसलों में इस समय निगरानी और देखभाल की खास जरूरत होती है, क्योंकि जरा सी लापरवाही के कारण पूरी फसल कीटे और बीमारियों की चपेट में आ सकती है.
- खासकर ग्वार, लोबिया, भिंड़ी, सेम, पालक, चोलाई जैसी बेलवाली और मूली, पालक और धनिया आदि सब्जियों की बुवाई (Vegetable Cultivation) के समय इनकी रोगरोधी किस्मों से ही बुवाई करें.
- बुवाई से पहले बीजों का उपचार (Seed Treatment) जरूर करें, जिससे जोखिमों को कम किया जा सके.
- सब्जियों की अगेती फसलों में माईट, जैसिड़ और होपर जैसे कीड़ों का खतरा मंडराता रहता है, इसलिये निरंतर निगरानी करें.
- माइट की समस्या बढ़ने पर फॉसमाईट की 1.5-2 मिलीं मात्रा को प्रति लीटर पानी में गोलकर फसल पर मौसम साफ होने पर ही छिड़काव (Pesticide for Mite) करें.
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