Sugarcane Farm Works: भारत की मुख्य फसलों में गन्ना भी शामिल है, जिसकी खेती उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है. गन्ने की खेती से चीनी उद्योग को बढ़ावा तो मिलता ही है, साथ ही दूसरे देशों को भी बड़ी मात्रा में चीनी निर्यात किया जाता है. ऐसी स्थिति में जरूरी हो जाता है कि गन्ना की फसल से स्वस्थ और बेहतर उत्पादन लिया जा सके. इसके लिये समय-समय पर कीट और रोग प्रबंधन करना, पोषण प्रबंधन करना और फसल की निगरानी करना बेहद जरूरी है. 


फिल्हाल बसंतकालीन गन्ने की फसल खेतों में खड़ी हुई है. गन्ने की रोगरोधी किस्मों की बुवाई के बावजूद प्रदूषण के कारण इनमें बीमारियां पनपने का खतरा काफी बढ़ जा रहा है. इससे गन्ने का उत्पादन तो घट ही रहा है, साथ में किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है. इसलिये जरूरी है कि समय से पहले इन बीमारियों और कीड़ों लगने के लक्षणों पहचानकर उनका प्रबंधन किया जाये, जिससे स्वस्थ फसल मिल सके.




ऐसे करें रोग प्रबंधन
इलाज से बेहतर है सावधानी. इसलिये किसान भाई कोशिश करें कि शुरुआत में बीजों के चुनाव से लेकर, बीजोपचार, खेत की तैयारी, उर्वरकों का इस्तेमाल, खाद का प्रयोग, और सिंचाई सही तरह से की जाये, जिससे कीड़ों और बीमारियों की संभावना ही खत्म हो जाये. लेकिन फिर भी ये समस्यायें फसल का पीछा नहीं छोड़ती, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क करके कृषि वैज्ञानिकों से सलाह जरूर ले सकते हैं. लेकिन हम आपको कुछ सावधानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर चुनौतियों को कम कर सकते हैं.



  • खेत में बुवाई से पहले गन्ने की अच्छी किस्म का बीजोपचार के बाद ही खेतों में लगायें.

  • बुवाई से पहले गन्ने के बीज के दोनों सिरे स्वस्थ होने चाहिये. दोनों सिरों में लालपन दिखने पर बीज बीमारी से ग्रसित होते हैं. इनकी बुवाई न करें

  • बुवाई से पहले बीजों का बीजोपचार करें, इसके लिये बीजों को गर्म पानी में 2 घंटे के लिये साफ होने के लिये रख दें.

  • गन्ने की बुवाई के बाद खेत में बीमार पौधा या खरपतवार दिखने पर उसे उखाड़कर फेंक देना चाहिये.

  • अगर आप हर साल गन्ने की फसल लगाते हैं तो कटाई के बाद इसकी पुआल यानी भूसे को जला देना चाहिये.

  • अगर किसी कारणवश गन्ने की फसल बीमारियों से खराब हो जाये, तो कुछ समय तक गन्ना की खेती नहीं करनी चाहिये.

  • ध्यान रखें कि खेतों में मेड़बंदी जरूर करें, इससे एक खेत का पानी दूसरे खेत में नहीं जायेगी. और एक फसल की बीमारी दूसरी फसल तक नहीं फैलेगी.

  • गन्ना की बुवाई से पहले नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र में जाकर प्रशिक्षण जरूर लें और समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेते रहें.


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