Seed Treatment Before Sowing Seeds: भारत में खरीफ फसलों (Kharif Crop) में मुख्य फसलों की खेती का काम तेजी से चल रहा है. अभी किसान बारिश के बीच खेती (Rain Based Farming) की तैयारियां करने में जुटे हैं, जिससे कपास, धान, बाजरा, मक्का, ग्वार, मूंगफली, गन्ना और दलहनी फसलों में सोयाबीन, मूंग, उरद, अरहर, लोबिया तथा चारे वाली फसलों में ज्वार आदि फसलों की बुवाई का काम समय रहते किया जा सके. हर किसान खेतों से अच्छी पैदावार लेने के लिये अच्छी क्वालिटी की खाद, उर्वरक और बीजों की मदद से खेती करते हैं.


इस मामले में विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी भी फसल की क्वालिटी पैदावार (Quality Production) पूरी तरह से बीज पर निर्भर करती है. इसलिये फसल के रोग प्रतिरोधी बीजों (Advanced Seeds) को प्रमाणित स्थान से ही लेना चाहिये. इतना ही नहीं, खेतों में बीजों से बुवाई से पहले बीज उपचार यानी सीड ट्रीटमेंट (Seed Treatment)  करने की हितायद भी दी जाती है, जिससे फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना न रहे. 




क्या है बीज उपचार का प्रोसेस (Seed Treatment Process) 
बीज उपचार प्रोसेस में बीजों की साफ-सफाई और उन पर कैमिकल कोटिंग करना शामिल है, जिससे फसल कीड़े और बीमारियों से मुक्त रहे. किसान चाहें तो जीवाणु कल्चर की मदद से भी बीज उपचार कर सकते हैं. इससे फसल में 50 फीसदी प्रतिशत तक कीड़े और बीमारियों के जोखिम को टाला जा सकता है. बेशक कई किसान बीजों की रोग रोधी किस्मों को खरीदते हैं, लेकिन बीज उपचार की प्रक्रिया से फसल का क्वालिटी उत्पादन लेने में खास मदद मिलती है. सही रसायन से बीजों का उपचार करने पर बीजों का अंकुरण आसान हो जाता है और फसल के पौधों का भी ठीक प्रकार से विकास होता है.


एक प्रोसेस, अनेकों फायदे (Benefits of Seed Treatment) 
खेती एक ऐसा काम है, जिसमें शुरुआत से ही सारे कामों में सावधानी बरती जाये, तो बाद में कीट नाशक, उर्वरक और फसल उत्पादन पर लगने वाले दूसरे खर्चों को कम किया जा सकता है. यही कारण है कि बुवाई से पहले बीज उपचार करने से भी फसल को ऐसे ही अनोखे फायदे होते हैं.




  • बीजों का उपचार करने से मिट्टी की समस्यायें बीजों के अंकुरण पर हावी नहीं होती और बीज जनित बीमारियों का खतरा भी कम होता है.

  • बीज उपचार की प्रक्रिया से बुवाई के बाद बीजों का अंकुरण ठीक प्रकार से होता है, बीज खराब नहीं होते बल्कि ठीक प्रकार विकसित हो जाते  हैं.

  • कई रिसर्च में पाया गया है कि बीज उपचार करने से विपरीत परिस्थितियों में भी फसल का A1 उत्पादन मिल जाता है.

  • इस प्रोसेस से फसल को अलग से उर्वरक या पोषण की जरूरत नहीं होती और पौध संरक्षण में भी मदद मिलती है.

  • कीड़े-बीमारियों का प्रकोप कम करके इस प्रोसेस से पौधों की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है और फसल को मजबूती मिलती है.


कैसे करें बीज उपचार (How to do Seed Treatment) 
किसी भी बीज का उपचार तीन चरणों में किया जाता है, जिसे FIR चक्र विधि कहते हैं. 



  • इसमें सबसे पहले फफूंद नाशक(Fungicides), फिर कीट नाशक (Pesticides) और आखिरी में बायो फर्टिलाइजर या बायो कल्चर (Biofertilizes)(Bioculture) के मिश्रण से बीजों को साफ किया जाता है.

  • किसान चाहें तो राइजोबियम कल्चर, ऐजेटोबैक्टर, एजोस्पाइरिलम, फास्फोरस घोलक जीवाणु (पी.एस.बी) की मदद से भी बीज उपचार का कम कर सकते हैं.

  • ध्यान रखें कि बीजों को इन दवाओं में साफ करने के बाद सुखा देना चाहिये और 24 घंटे बाद ही बुवाई का काम करना चाहिये.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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