Drip Irrigation for Sustainable Farming: धरती पर पानी की कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. आबादी बढ़ने से पानी की खपत तो बढ़ ही रही है, साथ में कई इलाको में पीने और खेती के लिये भी पानी की किल्लत देखी जा रही है. इस परेशानी के दौर में जरूरी है कि किसान ऐसी तकनीक पर काम करें, जिससे पानी के कम इस्तेमाल में ही अच्छी उपज ली जा सके. ऐसी ही एक तकनीक का नाम है ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई पद्धति. टपक सिंचाई तकनीक के तहत बूंद-बूंद करके जल फसलों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है. इससे फसलों की अच्छी पैदावार और पानी की बचत दोनों ही काम हो जाते हैं.
सिंचाई भी पोषण भी
टपक सिंचाई तकनीक का सबसे बड़ा फायदा ये है कि फसल को कम पानी में अच्छी बढ़वार मिल जाती है. इस तकनीक के तहत प्लास्टिक की पाइपों को छेद करके खेत में फैलाकर पानी के स्रोत से जोड़ दिया जता है. जिससे पानी का वाष्पीकरण भी नहीं होता और सिंचाई का काम भी हो जाता है. इस विधि में फसल की जरूरत के अनुसार ही पानी दिया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान पानी में उर्वरक भी घोल दिये जाते हैं. जिससे फसल को नमी के साथ पोषण भी मिल जाता है.
लागत और आमदनी
ड्रिप सिंचाई की यह तकनीक छोड़ी खर्चीली तो है, लेकिन पानी की बचत और पैदावार बढ़ने पर फायदा बढ़ जाता है. हालांकि, उबड़-खाबड़ जमीन और पानी की कमी वाले इलाकों के लिये यह तकनीक बेहद फायदेमंद है. पुराने तरीकों से सिंचाई करने पर किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है और कई बार फसलों में पानी भी भर जाता है, जिससे फसलें खराब हो जाती हैं. ऐसी स्थिति में ड्रिप सिंचाई की तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है. इसमें मानव श्रम की भी काफी बचत होती है.
बागवानी फसलों के लिये वरदान
बागवानी फसलों के लिये ड्रिप सिंचाई की तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है. बागवानी फसलों में फल, फूल, सब्जियां आदि की खेती शामिल है, इन फसलों में सिंचाई भी जरूरत के अनुसार की जाती है. ऐसे में टपक सिंचाई तकनीक से जरूरत के मुताबिक ही पानी छोड़ा जाता है, जिससे फसल गलने की संभावना भी कम हो जाती है.
टपक सिंचाई वाली फसलें
भारत में आम, अनार, अंगूर, अमरुद, कटहल, केला, सेब, संतरा, नीम्बू, नारियल आदि की बागवानी फसलों की सिंचाई के लिये ड्रिप इरिगेशन तनीक को इस्तेमाल में लाया जा रहा है. टमाटर, बैंगन, फूलगोभी, बन्दगोभी, ककड़ी, मिर्च, खीरा, लौकी, कद्दू, भिण्डी जैसी सब्जी फसलों के लिये भी टपक सिंचाई मददगार साबित हो रही है. किसान चाहें तो गेंदा, गुलाब, रजनी, बेला, कुंद जैसे फूलों की खेती के लिये टपक सिंचाई विधि का प्रयोग कर सकते हैं.
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