ड्रोन तकनीक ने कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं, विशेष रूप से खाद और कीटनाशकों के छिड़काव में. यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में समय और धन की बचत करता है, समान वितरण सुनिश्चित करता है, जोखिम कम करता है और पर्यावरण के अनुकूल है.


केंद्र और राज्य सरकारें किसान भाइयों को लगातार ड्रोन के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं ताकि उनकी मेहनत और लागत कम हो सके. ड्रोन के इस्तेमाल से किसान फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव, बीजों की बुवाई और फसलों की निगरानी कर सकते हैं. इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी.


बिहार सरकार ने ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए एक योजना लागू की है- ड्रोन से कीटनाशी छिड़काव योजना. इस योजना के तहत किसानों को ड्रोन से छिड़काव पर प्रति एकड़ 50 फीसदी अधिकतम 240 रुपये की सब्सिडी मिलेगी. यह योजना किसानों को ड्रोन तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और फसलों की पैदावार बढ़ाने में मदद करेगी.






मिलेगा इतना अनुदान


बामेती के अनुसार, कृषि विभाग किसानों को अनुदानित ड्रोन छिड़काव प्रदान कर रहा है. प्रति एकड़ पर 50% या अधिकतम 240 रुपये अनुदान दिया जाएगा. किसानों को अधिकतम 10 एकड़ तक अनुदान दिया जाएगा. कीटनाशक छिड़काव के लिए 4 ड्रोन सेवा प्रदाताओं को नियुक्त किया गया है.


पारंपरिक कीटनाशक छिड़काव हानिकारक है क्योंकि किसान इसके दुष्प्रभावों से अनजान होते हैं, जिससे पानी, समय और धन की बर्बादी होती है. ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव से किसानों के स्वास्थ्य पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. एक एकड़ में 8-10 लीटर पानी में कीटनाशक का छिड़काव संभव होगा, जिसमें 8-10 मिनट लगेंगे.


खेत में कैसे काम करता है ड्रोन


खेतों में ड्रोन का इस्तेमाल फसलों पर खाद या कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए किया जाता है. ड्रोन उड़ान भरने से पहले, खेत का एक नक्शा बनाया जाता है. यह नक्शा ड्रोन को यह बताने में मदद करता है कि कहां जाना है और कितनी मात्रा में खाद या कीटनाशक का छिड़काव करना है. ड्रोन को खेत में उड़ान भरने के लिए प्रोग्राम किया जाता है और यह स्वचालित रूप से नक्शे में निर्धारित मार्ग का अनुसरण करता है. ड्रोन टैंक में मौजूद खाद या कीटनाशक को फसलों पर छिड़कता है.


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