Drone uses: कस्टम हायरिंग सेंटर पर मौजूद होंगे इतने ड्रोन, खेतों में करेंगे छिड़काव, किसानों का समय और पैसा बचत का ये है प्लान
राजस्थान सरकार किसानों को समृद्ध और उन्नत बनाने के लिए लगातार कदम उठा रही है. कस्टमर हायरिंग सेंटर पर 1500 ड्रोन उपलब्ध कराये जाएंगे. किसान यहां से डरोन खरीद सकेंगे.
Use Of Drone In Agriculture: देश के किसान उन्नत खेती कर अच्छी उपज पाने की हर संभव कोशिश करते हैं. केंद्र और राज्य सरकारें भी उन्हें उन्नत और समृद्ध बनाने की हर संभव कोशिश कर रही है. देश में खेती बाड़ी में पिछले कुछ सालों में ड्रोन का चलन बढ़ा है. अब एक राज्य सरकार ने ड्रोन उपयोग को लेकर ऐसे ही कदम उठाए हैं. राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन के उपयोग से खेती करने में समय कम लगता है. लागत कम आती हैं, लेकिन उपज बंपर होती है.
राजस्थान में केंद्रों पर किराए पर मिलेंगे 1500 ड्रोन
राजस्थान के जयपुर में हाल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में राज्य मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि किसानों को ट्रैक्टर एवं अन्य संसाधनों की तरह यह ड्रोन भी किराए पर कस्टम हायरिंग सेंटर पर मिलेंगे. इसी कड़ी में अगले 2 साल में 1500 ड्रोन कस्टम हायरिंग सेंटर पर उपलब्ध करवाए जाएंगे. यदि कोई किसान ड्रोन को किराए पर लेने को इच्छुक नहीं है तो वह उसे खरीद सकता है. किसान ड्रोन खरीदना चाहे तो ड्रोन की लागत का 40% या अधिकतम चार लाख रुपये अनुदान के तौर पर दिया जाएगा. किसान को सरकार की ओर से ड्रोन से छिड़काव करने पर जो लागत आएगी उसका 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान के तौर पर दिया जाएगा.
90 प्रतिशत तक होगी पानी की बचत
राज्य मंत्री ने बताया कि किसान पारंपरिक और उन्नत तरीके से खेती करते हैं. पारंपरिक तरीके के सापेक्ष 10 किलोग्राम पेलोड वाले ड्रोन से छिड़काव में 80 से 90 फीसदी तक पानी की बचत होगी. इसका लाभ यह होगा कि जो किसान सिंचाई के वक्त पानी के लिये परेशान रहते हैं. उनकी ये टेंशन नहीं रहेगी.
नैनो यूरिया उपयोग को दिया जाएगा बढ़ावा
अधिकारियों के अनुसार, ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने की कवायद जारी है. ड्रोन के माध्यम से विशेष फसलों में उर्वरकों का छिड़काव किया जा सकेगा. पहले चरण में तय किया गया है कि नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने में ड्रोन का उपयोग किया जाएगा. ड्रोन के माध्यम से किसान सिंचाई की निगरानी कर सकेंगे. फसल में किस जगह कीड़ा लगा है ये देख पाएंगे. कहीं फसल खराब हो गई है तो उसकी जानकारी मिल सकेगी. ड्रोन में मल्टीस्पेक्ट्रेल सेंसर भी हैं, जो सूखाग्रस्त एरिया की पहचान कर पाएंगे.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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