Farmer's Condition without Rain: भारत में इस साल मानसून (Monsoon 2022) का रुख काफी खराब रहा है. ज्यादातर राज्यों में बारिश कम होने के कारण किसानों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. खासकर धान की अच्छी पैदावार को लेकर किसानों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है.
सब्जियों में लौकी, तोरई, भिंडी, काशीफल, मिर्च, नींबू, अरबी, बैंगन, टमाटर आदि फसलें तो खेतों में खड़ी हैं, लेकिन मॉनसून की बेरुखी ने इन फसलों ने दम तोड़ना शुरू कर दिया है. आलम ये है कि बारिश की कमी (Lack of Rain in India) के चलते देश में 10 से अधिक राज्य ड्राई स्टेट बन गए हैं. पूर्वी यूपी में जहां 20 से 50 प्रतिशत बारिश कम हुई है, वहीं पश्चिमी यूपी में 60 फीसदी कम बारिश के कारण सूखा जैसे हालात पैदा हो रहे हैं.
विशेषज्ञों ने जताई चिंता
कम मॉनसून को लेकर खुद मौसम वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है. इस मामले में उत्तरप्रदेश के मौसम और कृषि पर नजर रखने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. विवेक राज ने बताया कि पूर्वी और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में हुई बारिश की रिपोर्ट कल ही सामने आई है.
इस साल पिछले वर्ष से करीब 50 प्रतिशत तक कम बारिश देखी गई है, जिसका सीधा असर मौसमी फसलों पर होगा. बारिश कम होने पर फसलों का उत्पादन भी कम होगा और सब्जियों के दाम आसमान छूने लगेंगे.
कई राज्यों में सूखे के हालात, कहीं आ रही बाढ़
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) द्वारा जारी सप्ताह आंकड़ों के मुताबिक, जहां देश में 10 से अधिक राज्य ड्राई स्टेट बन गए हैं, वहीं कुछ इलाकों में बेहिसाब बारिश के कारण बाढ़ की तबाही फैलती जा रही है. इससे लाखों किसानों परिवारों बेघर और फसलें जलमग्न हो गई है.
सोशल मीडिया पर बाढ़ प्रभावित इलाकों में तबाही के दृष्य हैरान करने वाले है. वहीं मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों में साफ है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के कई इलाके, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 60 फीसदी से भी कम बारिश हुई है, जिसके कारण अभी से सूखा जैसे हालात नजर आने लगे हैं.
- वहीं असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम, उड़ीसा, झारखंड, ईस्ट यूपी, जम्मू कश्मीर, पश्चिमी राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में 20 से 50 फीसदी तक कम बारिश देखी गई है.
- इसके अलावा, तमिलनाडु, पांडुचेरी, कराईकल कर्नाटक के ज्यादातर इलाकों में पिछले साल के मुकाबले 60 फ़ीसदी से ज्यादा बारिश हुई है, जिसके कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गये है.
- केरल लक्षद्वीप में बारिश के आंकड़ों ने भी चौंका दिया है. यहां इस साल 20 से 50 फ़ीसदी तक ज्यादा बारिश हुई है, जो किसानों के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है.
30 फीसदी तक बढ़ सकते हैं सब्जियों के दाम
वर्तमान में उत्तरप्रदेश के मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ़ समेत अन्य जिलों में आलू के फुटकर दाम 20 रुपये प्रति किलोग्राम हैं. यहां भिंडी 30 रुपये प्रति किलोग्राम, प्याज 30 रुपये प्रति किलोग्राम, लौकी 30 रुपये प्रति किलोग्राम, काशीफल 30 रुपये प्रति किलोग्राम, नींबू 120 रुपये प्रति किलोग्राम, टमाटर 30 रुपये प्रति किलोग्राम, मिर्च 90 रुपये प्रति किलोग्राम, बंद गोभी 60 रुपये प्रति किलोग्राम, बैंगन 30 रुपये प्रति किलोग्राम, फूल गोभी 70 रुपये प्रति किलोग्राम, अरबी 30 रुपये प्रति किलोग्राम, लहसुन 80 रुपये प्रति किलोग्राम और अदरक 80 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेची जा रही है.
भविष्य में बढेगी महंगाई
फल और सब्जियों की आवाजाही और खरीद-बिक्री पर फल-सब्जी मंडी आढ़ती वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष खुशीराम सिंह लोधी ने बताया कि थोक में सब्जियों के भाव कम होते हैं. वहीं फुटकर में सब्जियों की बिक्री के लियेृ दुकानदार अपने हिसाब से कीमत निर्धारित करके बेचते हैं. इस साल बारिश की कमी के कारण पश्चिमी यूपी के कई जिले ड्राई डिस्ट्रिक्ट बन गए हैं. अगर इसी तरह के हालात रहे तो थोक में ही सब्जियों के दामों में 20 से 30 फीसदी तक उछाल देखने को मिल सकता है. इस तरह फुटकर में सब्जियों की कीमत पर बढ़ती महंगाई के कारण आम लोगों का बजट बिगड़ सकता है.
धान पर भी दिखेगा असर
इस मामले में उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर स्थित जहांगीराबाद मंडी के सीनियर आढ़ती योगेश गोयल ने बताया कि मंडी में धान 3500 रुपये क्विंटल, गेहूं 2550 रुपये क्विंटल, बाजरा 2050, सरसों 6000 रुपये क्विंटल के हिसाब से बिक रही है. उनके मुताबिक, मंडी में धान, गेहूं, बाजरा, ज्वार के रेट देश से होने वाले आयात, निर्यात तय करते है, लेकिन बारिश का सीधा प्रभाव धान की फसल (Paddy Crop Management) पर होता है. बारिश कम होने से धान की पैदावार (Paddy Production 2022) कम होगी. अगर इसका बुरा असर पैदावार पर पड़ा तो निर्यात (Agriculture Export) भी प्रभावित होगा, जिससे धान खरीद भी महंगी हो सकती है.
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