Dry Farming Technology: भारत के कम बारिश वाले इलाकों में खेती करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. इन इलाकों में भू जल स्तर (Ground Water level) को कम होता ही है, साथ ही सिंचाई का पानी न मिल पाने के कारण जमीन भी बंजर हो जाती है. कुछ इलाके इतने वीरान होते हैं कि वहां तक सरकारी सुविधायें और सिंचाई की व्यवस्था करना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसी स्थिति में ड्राई फार्मिंग तकनीक (Dry Farming Technique) अपनाकर बंपर उत्पादन हासिल कर सकते हैं. 


बता दें कि ड्राई फार्मिंग तकनीक में फसलों को जरूरत के हिसाब से पानी दिया जाता है और खेती के लिये उन्नत किस्म के खाद-बीजों का प्रयोग किया जाता है, जिससे चुनौतियों के बीच खेती करने पर भी जोखिम का सामना न करना पड़े.


कैसे काम करती है ड्राई फार्मिंग तकनीक (How Dry Farming Technology Works) 
शुष्क खेती की इस तकनीक में शुरू से आखिरी तक बेहतर प्रबंधन कार्य करने होते हैं, जिसमें उन्नत किस्म और कम पानी की उपयोगिता वाले बीजों का इस्तेमाल किया जाता है.





  • मिट्टी में नमी को लॉक करने के लिये  गहरी जुताई, सतही खेती और प्लास्टिक मल्चिंग (Plastic Mulching) का प्रयोग किया जाता है.

  • बारिश के पानी को इकट्टा करके खेती करने से ड्राई फार्मिंग तकनीक को सफल बना सकते हैं. इसमें वाटर शेड्स (Water Shades) किसानों को पानी की उपलब्धता में मदद करते हैं.

  • ड्राई फार्मिंग में ड्रिप सिंचाई की तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जिससे पानी की बर्बादी न हो और सीधा फसल की जड़ों तक पानी पहुंच सके.

  • विशेषज्ञों की मानें तो मिश्रित खेती (Mixed Crop Farming)  यानी एक साथ कई फसलों उगाकर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति (Soil Health)और भूजल के स्तर को बेहतर बना सके हैं  

  • अंतरवर्तीय खेती करने से भी कम पानी और कम जगह पर अलग-अलग फसलों का बेहतरीन उत्पादन ले सकते हैं.

  • ड्राई फार्मिंग तकनीक के तहत कम पानी में खेती की जाती है, लेकिन फसल में पोषण की कमी को पूरा करने के लिये जैव उर्वरक और पोषण प्रबंधन का काम करते रहना चाहिये.

  • इस तकनीक में कीड़े, बीमारियों और खरपतवारों की रोकथाम (Weed Management) के लिये निराई-गुड़ाई और जैविक कीट नियंत्रण (Organic Pest Control) का कार्य भी कर सकते हैं.

  • कम पानी में खेती यानी ड्राई फार्मिंग करने वाले किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली(Integrated Farming System) अपनानी चाहिये, जिसमें खेती के साथ-साथ पशुपालन और अन्य कृषि कार्य करना शामिल है.

  • ड्राई फार्मिंग तकनीक को प्राकृतिक खेती(Natural Farming) और जैविक खेती (Organic Farming)से जोड़कर अधिक लाभ ले सकते हैं, क्योंकि जैविक तरीकों से पानी और पोषण को कमी को काफी हद तक पूरा कर सकते हैं.

  • खेती की इस तकनीक में रासायनिक खाद, उर्वरक और कीट नाशकों का कम ही प्रयोग करें, क्योंकि ये मिट्टी की नमी को सोख लेते हैं.




भारत में ड्राई फार्मिंग तकनीक का योगदान (Contribution of Dry Farming Technology in India)
दुनिया की सोच से परे खेती की ये तकनीक सिर्फ किसानों को ही नहीं, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा में भी अहम रोल अदा कर रही है. रिसर्च के मुताबिक, ड्राई फार्मिंग तकनीक के जरिये बंजर जमीनों से भी 68 फीसदी उत्पादन लिया जा रहा है. 



  • ये तकनीक एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System)  पर आधारित है, जिसमें खेती के साथ-साथ पशुपालन (Animal Husbandry) जैसे कृषि कार्य भी किये जाते हैं. 

  • यही कारण है कि ये तकनीक 60 फीसदी पशु धन आबादी का समर्थन करती है. इससे 40 फीसदी किसानों को सीधा फायदा हो रहा है.  

  • नई कृषि नीति के मुताबिक बंजर और कम पानी वाली जमीन पर औषधीय फसलों की खेती(Herbal Farming)  के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

  • ड्राई फार्मिंग की तकनीक राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत देश के कई सूखाग्रस्त इलाकों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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