Earthworm Fertilizer: वैश्विक पटल पर भारत की पहचान खेती से भी है. धान, गेहूं, मक्का, मोटा अनाज, गन्ना समेत अन्य कई फसलों में भारत का डंका विदेशों में बज रहा है. कृषि के मामले में भारत का नाम रोशन करने में यहां के किसानों का हाथ है. केंद्र सरकार के सहयोग से किसान खेती के रकबे को बढ़ाकर उन्नत उपज ले रहे हैं. खेती को उन्नत करने के लिए बेहतर खाद की जरूरत होती है. आज हम आपको यही बताने की कोशिश करेंगे कि आपने अपने आसपास ऐसा ही जीव देखा होगा. जिसका इस्तेमाल कर बेहतरीन खाद बनाया जा सकता है. 


मिट्टी की आंत के नाम से जाना जाता है केंचुआ
केंचुआं का नाम तो आपने सुना होगा. इसकी खूबियों से हो सकता है, वाकिफ है. देखने में यह जीव बेशक भद्दा लगता है. लेकिन उपयोग में जमीन को सोना बनाने का काम करता है. विशेषज्ञ इस जीव को मिट्टी की आंत कहकर भी संबोधित करते हैं. यह मिट्टी व अपशिष्टों को खाद बनाने के काम आता है. केंचुआ की मदद से कार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया का वर्मीकम्पोस्टिंग कहलाती है, जबकि कृत्रिम विधि से केंचुआ पालन को वर्मीकल्चर कहते हैं. 


75 करोड़ कृषि अपशिष्ट गांवों में मौजूद
एक आंकड़े के अनुसार, भारत में यहां लगभग 75 करोड़ टन कृषि अपशिष्ट गांवों में उपलब्ध है. केंचुआ इन्हीं अपशिष्ट को उत्तम किस्म की खाद बना सकता है. इससे करीब 2 करोड़ टन कम्पोस्ट से प्राप्त कर सकते हैं. केंचुआ जो खाद बनाता है. वह सामान्य खाद की तुलना में अधिक उपयोगी होता है. 


इस तरह खाद बनाता है केंचुआ
केंचुए का आहार मिटटी व कच्चा जीवांश है. यह अपने वजन के बराबर खाता है और इतना ही खाद निकालता है. जब यह तत्व इसकी पाचन नलीका से गुजरते हैं तो बाहर निकलकर कंपोस्ट में बदल जाते हैं. यह शरीर से छोटे छोटे कास्टिंग के रूप में निकल जाते हैं. केंचुआ खाद मात्र 47 से 75 दिनों में तैयार हो जाते हैं. उसमें उसके कास्ट, अण्डे, कोकून व सूक्ष्म जीवाणु, पोषक तत्व तथा अपचित जैविक पदार्थ होते हैं. ये लंबे समय तक मृदा को उपजाऊ रखते हैं.


केंचुआ के फायदे जानिए
केंचुआ खाद यूरिया, डीएपी के मुकाबले बेहद सस्ता होता है. इन खादों से अधिक और लंबे समय तक के लिए उर्वरक शक्ति बढ़ाता है. इसके प्रयोग से पौधों में अच्छी ग्रोथ देखने को मिलती है. गोबर की खाद की तुलना में वर्मी कंपोस्ट में एक्टीनोमाइसिटिज 8 गुना अधिक होते हैं. फसलों का इम्यून सिस्टम बहुत तेजी से बढ़ता है. केंचुए का एक और लाभ यह है कि ये मिट्टी की जलशोषण क्षमता में 20 प्रतिशत तक बढ़त कर देते हैं. वर्मी कम्पोस्ट में पेरीट्रोपिक झिल्ली होने के कारण क्षेत्र के जल वाष्पीकरण बेहद कम होता है. सिंचाई की जरूरत कम पड़ती है. जहां केंचुआ खाद का प्रयोग किया जाता है. वहां दीमक और खरपतवार कम होते हैं. इसकी फल और सब्जी खाने में टेस्टी होती है. 


केंचुएं का एक लाभ यह भी
केंचुएं का एक और लाभ है कि दो से 4 महीने में इनकी संख्या दो गुनी तक हो जाती है. इस तरह केंचुए को बेचकर भी किसान अच्छी आमदनी कर सकते है. देश में काफी संख्या में दो से चार महीने में केंचुए की संख्या दोगुनी हो जाती है. इस तरह कम्पोस्ट के साथ -साथ केंचुए को बेचकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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