Food Oil Price: पंजाब में शिमला मिर्च, हरियाणा में टमाटर, हिमाचल में सेब और पश्चिम बंगाल में आम की कीमतों का बुरा हाल हो गया है. नुकसान से किसानों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई है. वहीं, देश में सस्ते खाद्य तेलोें की संख्या अधिक होने के कारण इनके दामों में गिरावट देखने को मिल रही है. सोयाबीन तेल-तिलहन, पामोलीन और बिनौला तेल कीमतों में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. यदि इनके भाव ऊंचे बोले जा रहे हैं तो उन्हें लिवाल तक नहीं मिल रहा है. 


एमएसपी से कम पर बिक रही तिलहन


बाजार में स्थिति ये आ गई है कि तिलहनी फसलेें एमएसपी से कम पर बिक रही हैं. आलम यह हो गया है कि दिल्ली की नजफगढ़ मंडी मेें किसान सरसों लेकर आ रहे हैं. लेकिन दाम कम होने के कारण बेच ही नहीं पा रहे हैं. सरसों की एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल हैं. जबकि किसानों से व्यापारी 4700 से 4800 रुपये प्रति क्विंटल ही खरीद रहे हैं. 


इस वजह से देसी खाद्य तेलों की स्थिति खराब


भारत में विदेशों में जो खाद्य तेल आ रहा है. उस पर किसी तरह की ड्यूटी नहीं लगाई गई है. शुल्क न लगाए जाने के कारण भारत में विदेशी तेल बेहद सस्ते दामों में पहुंच रहा है. जबकि देसी तेलों के दामों की कीमत अधिक है. इसलिए सस्ता होने के कारण बाजार मेें लोग विदेशी तेलों को ही खरीदना पसंद करते हैं. वहीं, व्यापार संगठन के पदाधिकारी केंद्र सरकार से 13 मार्च से केंद्र सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि आयातित खाद्य तेलों पर शुल्क बढ़ाया जाए. ऐसा न करने पर परेशानी बढ़ेगी. यदि किसानों को लाभ नहीं मिलेगा तो वह सरसों के बजाय दूसरी फसलों की ओर रुख कर लेगा. इससे विदेशी तेलों की मोनोपॉली बढ़ेगी. एक समय पर तेल के दाम बहुत महंगे हो जाएंगे. 


कुछ तेल इस वजह से महंगे हो रहे


प्रीमियम लगाने जाने और मैक्सिमम रिटेल प्राइस के कारण सूरजमुखी और सोयाबीन तेल सस्ते में नहीं मिल पाता है. पामोलीन ऑयल पर 13.75 प्रतिशत का आयात शुल्क है. इस कारण ये भी महंगा हो गया है. व्यापार संघ का कहना है कि सोयाबीन, सूरजमुखी और पामोलीन के दामों का संतुलन बेहद जरूरी है. केंद्र सरकार या तो सोयाबीन और सूरजमुखी ऑयल पर आयात शुल्क बढ़ा दें या फिर पामोलीन पर आयात शुल्क कम कर देना चाहिए. 


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