Advanced Varieties of Brinjal for Better Yield: भारत में बैंगन जितने चाव से खाया जाता है, उससे कहीं बड़े पैमाने पर इसकी खेती (Brinjal Cultivation)  होती है. वैसे तो बैंगन को आम लोगों की सब्जी कहते हैं. बावजूद इसके किसान इसकी फसल (Brinjal Crop) से अच्छी आमदनी नहीं ले पाते, जिसके पीछे खेती-किसानी और जलवायु से जुड़े कारक शामिल है, जिसके कारण किसान भरपूर मेहनत के बाद भी अच्छी आमदनी नहीं ले पाते.


पिछले कुछ सालों में बैंगन की उन्नत किस्मों (Improved Varieties of Brinjal)  के विकास पर चले अनुसंधानों के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा (ICAR - Indian Agricultural Research Institute) के वैज्ञानिकों ने इसकी कई संकर किस्में (Hybrid Varieties of Brinjal) विकसित की हैं, जिसमें से तीन किस्में किसानों की पहली पसंद बन चुकी है.


बैंगन की उन्नत किस्में  (Advanced  Varieties of Brinjal) 
बैंगन की फसल से बेहतर उत्पादन लेने  के लिये जरूरी है कि बैंगन की उन्नत और विकसित किस्मों को चयन किया जाये, जिन पर जलवायु और कृषि से जुड़े दूसरे जोखिमों का कोई बुरा असर ना पड़े. हमारे वैज्ञानिकों ने बैंगन की कई ऐसी किस्में विकसित की हैं, जो रोगरोधी होने के साथ-साथ कम समय में अच्छी कमाई का साधन बनती हैं. इनमें प्रमुख रूप से पूसा पर्पल क्लस्टर, पूसा परपल राउंड, पूसा परपल लोंग एवं पूसा हाईब्रिड-6 आदि शामिल है.




पूसा पर्पल लॉन्ग किस्म (Pusa Purple Long variety)
जैसा कि नाम से ही साफ है बैंगन की इस किस्म के फलों का आकार लंबा होता है, जिसके फल चमकदार और बैंगनी रंग के होते हैं. एक हेक्टेयर जमीन पर पूसा पर्पल लॉन्ग की खेती करने पर 25 से 27 टन का उत्पादन ले सकते हैं. इसकी खेती ज्यादातर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब से सटे इलाकों में  की जाती है.


पूसा पर्पल क्लस्टर किस्म (Pusa Purple Cluster variety)
इस प्रजाति के बैंगनों का आकार आयताकार होता है, जो गुच्छों में पैदा होते हैं. इन फलों का आकार मध्यम ही होता है, लेकिन इनकी लंबाई 10 से 12 सेमी तक होती है. पूसा पर्पल किस्म को जीवाणु विल्ट रोधी किस्म भी कहते हैं, जो उत्पादन के मामले में कई किस्मों को मात दे रही है. 


पूसा पर्पल राउंड किस्म (Pusa Purple Round variety)
बाजार में मिलने वाले गोल और बैंगनी रंग के बैंगन ज्यादातर पूसा पर्परल राउंड (Pusa Purple Round Brinjal) किस्म ही होती है. इस किस्म के फलों का वजन करीब 130 से 140 ग्राम तक होता है. इस किस्म के पौधे तो लंबे होते ही है, साथ ही इसका तना भी मजबूत हरे-बैंगनी रंग का होता है.


ध्यान रखने योग्य बात


इन किस्मों की खेती के लिये नर्सरी में पौधे तैयार (Brinjal Nursery for Farming) करके ही रोपाई करनी चाहिये, जिससे बैंगन के फलों में कीड़े लगने की समस्या ना हो पाय और बैंगन का उत्पादन (Brinjal Production) आसानी से अच्छे दामों पर बिक सके. किसान चाहें तो जैविक विधि (Organic Farming) से कार्बनिक पदार्थों से भरपूर खाद का इस्तेमाल करके भी बैंगन का बेहतर उत्पादन ले सकते हैं.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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