आमतौर पर जब भी किसी पालतू या आवारा पशु की मौत होती है, तो खेत या खाली पड़ी जमीन पर दफना दिया जाता है. हालांकि, कई बार आवारा पशुओं के शवदाह की व्यवस्था नहीं होती, जिसमें गाय और सांड शामिल होते हैं. पर अब मोक्ष की नगरी काशी में पशुओं के लिए शवदाह की व्यवस्था की गई है, जैसे की इंसानों का शवदाह किया जाता है. गौ वंशों की सुरक्षा को लेकर योगी सरकार का रुख सख्त है. इसलिए पशुओं के लिए योगी सरकार पशु शवदाह गृह बनवाने जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणासी में यह कवायद की गई है. जल्द ही यहां जिला पंचायत के स्तर से काम शुरू करा दिया जाएगा.


जाल्हूपुर गांव में बन रहा शवदाह गृह:


शवदाह गृह का निर्माण चिरईगांव ब्लॉक के जाल्हुपुर में किया जा रहा है. 0.1180 हेक्टेयर भूमि पर 2.34 करोड़ रुपये की लागत से इस इलैक्ट्रिक शवदाह गृह का निर्माण किया जाएगा. भविष्य में इसे सोलर एनर्जी या फिर गैस आधारित प्लांट करने का प्रस्ताव है. जल्द बोर्ड बैठक के पटल पर इस संबंध में प्रस्ताव रख दिया जाएगा. ऐसा होने पर बिजली की बचत हो सकेगी.  


एक दिन में 12 पशुओं का होगा शवदाह:


जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार सिंह ने बताया कि औसतन एक घंटे में एक पशु का शवदाह होगा. इस तरह से दिनभर में करीब 12 पशुओं का शवदाह कर दिया जाएगा. शवदाह की क्षमता 400 किलो प्रति घंटे की है. शवदाह के बाद बची राख का प्रयोग खेती में खाद्य के रूप में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी यह तय नहीं किया गया है कि खाद्य का प्रयोग कमर्शियल होगा या नहीं. इसका निर्णय बोर्ड बैठक में लिया जाएगा. मृत पशुओं को उठाने के लिए पशु कैचर भी खरीदें जाएंगे. जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. जिला मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट में पशुओं की संख्या करीब साढ़े 5 लाख है. शवदाह गृह बनने के बाद खुले में पशुओं को नहीं फेंका जाएगा.


गंगा भी रहेगी साफ सुथरी:


मृत पशुओं के अवशेषों को खत्म करने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है. घरेलू पशु को पशु मालिक दफना देते हैं, जबकि लावारिश पशुओं के लिए कोई मैनेजमेंट नहीं था. अभी तक लावारिश मृत पशुओं को गंगा में ही बहा दिया जाता था. इससे गंगा का जल भी दूषित(pollution in Ganga) होता था. शवदाह गृह बनने के बाद गंगा भी काफी साफ सुथरी रहेगी.


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