Profitable Farming: आज पूरी दुनिया एथेनॉल के उत्पादन पर जोर दे रही है. इसे वाहन और पर्यावरण को सुरक्षित रखने का एक जरिया माना जा रहा है. ऑटो-मोबाइल सेक्टर के लिए एथेनॉल जितना कारगर साबित हो रहा है, उतना ही किसानों की आय बढ़ाने में भी मददगार साबित होने वाला है. आपको बता दें कि एथेनॉल एक तरीके का ईंधन होता है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर वाहनों में इस्तेमाल किया जाता है. केंद्र सरकार ने साल 2025 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल सम्मिश्रण (Ethanol Blending) का लक्ष्य निर्धारित किया है. भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में आज एथेनॉल का इस्तेमाल हो रहा है. आज के समय में इसे ग्रीन फ्यूल के नाम से जानने लगे हैं, जिसका मेन सोर्स गन्ना और मक्का है, हालांकि शर्करा वाली अन्य फसलें भी एथेनॉल प्रोड्यूस कर सकती हैं.


इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि आखिर एथेनॉल इतना प्रभावी क्यों है. इसे पेट्रोल में मिलाकर इस्तेमाल करने से पर्यावरण को क्या लाभ होंगे, और कैसे यह किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगा.


इन किसानों का होगा फायदा 
30 दिसंबर 2020 को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में एथेनॉल उत्पादन के लिए अनाज आधारित भट्टियों की स्थापना करने और पुरानी भट्टियों के विस्तार करने का प्रावधान किया गया. साथ ही, एथेनॉल बनाने के लिए चावल, गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार जैसे शर्करा आधारित अनाजों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.


आपको जानकर हैरानी होगी कि एथेनॉल का इस्तेमाल डीजल में सम्मिश्रण के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि वार्निश, पॉलिश, दवाओं के घोल, निष्कर्ष, ईथर, क्लोरोफॉर्म, आर्टिफिशियल कलर, साबुन, इत्र और फलों में खास महक पैदा करने वाले सोर्स के लिए भी किया जाता है.


शराब के अलावा घाव को साफ करने वाले जीवाणुनाशक और लैब की कई रिसर्च में भी एथेनॉल सोल्यूशन का इस्तेमाल होता है. मरे हुए जीवों को संरक्षित करने और कई औषधियों में भी एथेनॉल का इस्तेमाल होता है. फिलहाल देश में धान और गन्ना से बने एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है.


एथेनॉल को लेकर सरकार का लक्ष्य 
देश में एथेनॉल उत्पादन पेट्रोल में इसके सम्मिश्रण को बढ़ावा दिया जा रहा है. भारत सरकार का प्लान है कि अगले 2 से 3 साल में पेट्रोल में 20% एथेनॉल का सम्मिश्रण करके बेचा जाए, जिससे बाहर से आयात होने वाले महंगे तेलों का खर्चा बचाया जा सके. इसके लिए देश को पर्याप्त मात्रा में एथेनॉल उत्पादन करना होगा, ताकि कंपनियों को भी 20% सम्मिश्रण करने में मदद मिल सके.


क्यों जरूरी है चैनल का इस्तेमाल 
एथेनॉल कोई इको फ्रेंडली ईंधन के तौर पर देखा जा रहा है. डीजल पैट्रोल से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण, महंगाई और वाहनों के इंजन की गर्मी जैसे समस्याओं से निपटने के लिए ही एथेनॉल सम्मिश्रण को कारगर बताया जाता है.


रिपोर्ट की मानें तो एथेनॉल एमटीबीई जैसे घातक ईंधनों के बेहतर विकल्प के तौर पर काम करता है. रिपोर्ट की मानें तो एथेनॉल के इस्तेमाल से पर्यावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन  का उत्सर्जन भी 35% कम होता है.


इन देशों में भी होता है एथेनॉल सम्मिश्रण 
डीजल-पेट्रोल की बढ़ती खपत और पर्यावरण प्रदूषण के मद्देनजर अब लगभग पूरी दुनिया ही एथेनॉल जैसे सुरक्षित विकल्पों की ओर बढ़ रही है. ब्राजील में सबसे ज्यादा करीब 24 फ़ीसदी एथेनॉल का सम्मिश्रण किया जा रहा है. स्वीडन और कनाडा में ज्यादातर गाड़ियां ग्रीन फ्यूल एथेनॉल पर ही आधारित हैं.


ऐसी गाड़ियों को खरीदने के लिए वहां की सरकार सब्सिडी भी देती हैं. आज एथेनॉल को पेट्रोल की निर्भरता खत्म करने वाले एक शानदार एग्रीकल्चर और इको फ्रेंडली प्रोडक्ट के तौर पर देखा जा रहा है, जहां भारत दूसरे देशों से पेट्रोल आयात करता है. ऐसी स्थिति में एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने से भविष्य में पेट्रोल पर निर्भरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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