Eucalyptus Farming: किसानों की आय को दोगुना करने के लिए अब लकड़ी उत्पादन पर फोकस किया जा रहा है. किसानों को खेत की बाउंड्री पर लकड़ी उत्पादन देने वाले पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. ये पौधे 5 साल में एक विशालकाय पेड़ बन जाते हैं, जिनसे खेतों की सुरक्षा तो होती ही है. साथ ही, लकड़ी उत्पादन से अच्छा मुनाफा भी हो जाता है. अच्छी बात यह है कि सरकार पेड़ की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक सहायता भी दे रही है. छत्तीसगढ़ की सरकार ने मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना चलाई है, जिसके तहत नीलगिरी की खेती करने के लिए किसानों को 25000 रुपये का प्रोत्साहन दिया जाता है. इतना ही नहीं, पेड़ उगाने के बाद किसानों को लकड़ी बेचने के लिए इधर-उधर नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि पूरी लकड़ी की उपज भी खरीद ली जाएगी.
क्यों खास है नीलगिरी का पेड़
नीलगिरी को यूकेलिप्टस भी कहते हैं. इन विशालकाय पेड़ों की ललकड़ी का इस्तेमाल फर्नीचर से लेकर इमारतें बनाने में किया जाता है. नीलगिरी के पत्तियों से एक खास तेल भी निकाला जाता है, जो सर्दी-जुकाम के साथ-साथ गले, नाक, गुर्दे और पेट से जुड़ी बीमारियों में रामबाण का काम करता है.
इस पेड़ से निकली गोंद के अलावा छाल से कागज और चमड़ा बनाया जाता है. नीलगिरी के पौधों की रोपाई करने के बाद 5 साल के अंदर पेड़ तैयार हो जाता है, जिससे 400 किलोग्राम तक लकड़ी का प्रोडक्शन ले सकते हैं. 1 एकड़ में नीलगिरी के 1000 पौधे लगाए जा सकते हैं, जिनकी देखभाल में भी ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती.
नीलगिरी की खेती के लिए सब्सिडी
छत्तीसगढ़ सरकार ने नीलगिरी की खेती करने वाले किसानों को मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के तहत 25000 रुपये की सब्सिडी का ऐलान किया है, हालांकि यह राशि किसानों को एकमुश्त नहीं दी जाएगी, बल्कि 3 किस्तों में इसका भुगतान किया जाएगा.
पहली किस्त के तौर पर पहले साल में 11,000 रुपये का अनुदान मिलेगा. 7000 रुपये की दूसरी किस्त को दूसरे साल में और तीसरे साल में भी 7000 रुपये दिए जाएंगे, हालांकि पहले साल की आर्थिक मदद के बाद दूसरे और तीसरे साल की सब्सिडी की रकम का आबंटन जीवित पौधों के आधार पर किया जाएगा.
कैसे करें आवेदन
प्रधानमंत्री वृक्ष संपदा योजना के तहत नीलगिरी की खेती करने के लिए सिर्फ छत्तीसगढ़ के किसानों को ही शामिल किया गया है. यदि आप भी छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और अपनी खेती योग्य जमीन है तो सब्सिडी का लाभ लेने के लिए अपने नजदीकी वन विभाग के कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं.
यहां आवश्यक दस्तावेजों (आधार कार्ड, स्थाई प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक की कॉपी, खेत का खसरा खतौनी, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो) के साथ आवेदन फॉर्म भरना होगा. अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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