Wheat Cultivation: यूरोप के गेहूं को इस रोग ने बीमार कर दिया... सेहत के लिए खतरनाक, भारत पर भी दिखेगा असर
यूरोप का गेहूं गंभीर संक्रमण की चपेट में आ गया है. साइंटिस्ट ने इसे वोमिटॉक्सिन समेत अन्य नाम दिए हैं. इसके खाने से पशु और मनुष्य दोनों ही बीमार हो सकते हैं. भारत में भी इसको लेकर खतरा बना है.
Wheat Production: देश में इस साल गेहूं की बंपर बुआई हो रही है. पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं की बुआई का ग्राफ बढ़ गया है. गेहूं बुआई के ताजा आंकड़ों को देखकर केंद्र सरकार खुश है. हालांकि, पिछले साल हुए कम उत्पादन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण देश में गेहूं और आटे की कीमतों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. लेकिन गेहूं पर अब एक संकट देखने को मिल रहा हैं. यूरोप में गेहूं की फसल गंभीर रोग की चपेट में आ गई हैं. इसका व्यापक असर पशु और मनुष्य दोनों की हेल्थ पर देखने को मिल सकता है. जानकारों का कहना है कि यूरोप में लगे गेहूं के रोग का असर वैश्विक स्तर पर सामने आ सकता है. भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा.
वोमिटॉक्सिन की चपेट में आया गेहूं
हाल में एक रिपोर्ट सामने आई हैं. इसमें बताया गया है कि देश का गेहूं फफूंद की चपेट में आ गया हैं. साइंटिपिफक भाषा में इसे फ्यूजेरियम हेड ब्लाइट (एफएचबी) कहा जाता है. जानकारों का कहना है कि यह रोग गेहूं की फसल को गंभीर रूप से संक्रमित कर सकता है. अनाज में जहरीले टॉक्सिंस पैदा होने के कारण यह खाने लायक नहीं रहता है. इसे मायकोटॉक्सिन जिसे आमतौर पर वोमिटॉक्सिन भी कहा जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमित गेहूं का खाना पशु और मनुष्य दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.
यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में ये आया सामने
बाथ यूनिवर्सिटी ने इसको लेेकर अध्ययन किया है. रिपोर्ट में सामने आया है कि अध्ययन में शामिल किए गए प्रत्येक यूरोपीय देश के गेहूं में वोमिटॉक्सिन मौजूद था. गेहूं के आधे से अधिक नमूनों में इसकी मौजूदगी देखने मिलाकर देखने को मली. यूके में 2010 और 2019 के बीच गेहूं के 70 प्रतिशत में वोमिटॉक्सिन पाया गया था. जब इसका परीक्षण किया गया तो देखने को मिला कि वोमिटॉक्सिन लगभग 95 प्रतिशत गेहूं में सरकार की ओर से तय की गई सुरक्षित सीमा के भीतर था. हालांकि विशेषज्ञों इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि कुछ प्रतिशत गेहूं में मायकोटॉक्सिन तय सुरक्षा सीमा से अधिक देखने को मिला है. इसके अलावा सुरक्षित सीमा के भीतर खाने को लेकर भी अभी यह सामने नहीं आया है कि लंबे समय तक इसे खाने पर बॉडी पर इसका क्या प्रभाव देखने को मिलेगा.
प्रभाावित हो सकती है यूरोप की इकोनॉमी
मायोटॉक्सिन के चलते यूरोप की इकोनॉमी प्रभावित हो सकती है. दरअसल, गेहूं में रोग लगने पर वैश्विक स्तर पर इसकी मार्केट खराब होगी. खरीदार नहीं मिले तो यूरोप की एग्रीकल्चर इकोनॉमी पर निगेटिव इफेक्ट देखने को मिलेगा. एक्सपर्ट का कहना है कि यूरोप में उत्पादित गेहूं में 5 प्रतिशत से अधिक गेहूं में वोमिटॉक्सिन अधिक देखने को मिला है. मोटे तौर पर इसे समझें तो यह 7.5 करोड़ टन गेहूं के बराबर था. पशु और मनुष्य के स्तर से यदि इस गेहूं का सेवन किया जाएगा तो इसका असर दोनों पर ही देखने को मिलेगा. विशेषज्ञ भारत में पैदा होने वाले गेहूं को लेकर भी चिंतित है. वोमिटॉक्सिन के प्रसार को देखते हुए कहीं यह अन्य देशों के गेहूं को अपनी चपेट में न लेना शुरू कर दे.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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