Exotic Vegetables: आज खेती-किसानी आधुनिक हो गई है. इस काम से अच्छा मुनाफा कमाना है तो पारंपरिक तरीकों के बजाए विज्ञान की नजर से देखना होगा.नया नजरिया अपनाना होगा. इनोवेटिव काम करना होगा. यदि कम समय में कृषि के क्षेत्र में नाम और पैसा दोनों कमाना चाहते हैं तो स्मार्ट खेती करनी होगी. उन फसलों पर फोकस बढ़ाना होगा, जो कम संसाधनों में ही अच्छा मुनाफा दे जाएं. उदाहरण के लिए- आज बाजार में साधारण सब्जियों के बजाए रंग-बिरंगी सब्जियों की डिमांड बढ़ गई है.


सफेद मूली की जगह लाल मूली, पीले आलू की जगह नीले आलू और हरी भिंडी के बजाए लाल भिंडी की खेती करके आप खुद का बाजार खड़ा कर सकते हैं. विदेशों में भी इन सब्जियों की भारी मांग रहती है, लेकिन अब देश में भी सब्जियां सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं रहीं, बल्कि लोग इन्हें शौक से पकाकर खाते हैं. इस चीज का फायदा उठाकर किसान अच्छा पैसा कमा सकते हैं.


लाल भिंडी की खेती
भिंडी को यदि सबसे ज्यादा चलन वाली सब्जी कहा जाए तो ये गलत नहीं होगा. अभी तक हरी भिंडी का चस्का सभी की जुबान पर चढ़ा हुआ था, लेकिन अब लाल भिंडी ने भी मंडी में अपनी खास जगह बना ली है. शहरों में लाल रंग की भिंडी की डिमांड बढ़ रही है, लेकिन ज्यादातर किसान इसकी खेती के बारे में नहीं जानते, इसलिए सही मुनाफा नहीं कमा पाते.


बता दें कि लाल भिंडी की खेती भी हरी भिंडी की तरह ही होती है. बलुई दोमट मिट्टी में लाल भिंडी के बीजों को बोकर बढ़िया उत्पादन ले सकते हैं. भिंडी का लाल रंग क्लोरोफिल के बजाए एंथोसाइनिन की वजह से होता है.


इसके अलावा लाल भिंडी में आयरन, कैल्शियम, जिंक की भी भरपूर मात्रा होती है. इतनी खूबियां हैं, तब ही तो ये भिंडी 500 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिकती है.आप सोच सकते हैं कि कैसे एक साधारण सी फसल भी आपका बढ़िया मुनाफा दे सकती है.


नीले आलू की खेती
आलू एक सदाबहार सब्जी है. हर रसोई की शोभा है. अभी आपने सफेद या पीले रंग के आलू खाए होंगे, लेकिन अब बाजार में नीले रंग का आलू आ गया है, जो पोषण से भरपूर है. केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, मेरठ के वैज्ञानिकों ने नीले रंग के आलू की स्वदेशी किस्म इजाद की है.


इसका नाम कुफरी नीलकंठ है. इस आलू में एंथोसाइनिल और एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी मौजूद होते हैं. एक हेक्टेयर में नीले आलू की बुवाई करके आप 90 से 100 दिनों की अवधि में 400 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.


अंतर्राष्ट्रीय बाजार में नीला आलू दोगुना दाम पर बिकता है. इस अनोखी सब्जी को उगाने से पहले मिट्टी की जांच करवाके कृषि वैज्ञानिकों से सलाह-मशवरा कर सकते हैं.


लाल मूली की खेती
थोड़ी मीठी-थोड़ी कसैली मूली भला किसे पंसद नहीं. इससे बनी सलाद ढाबे से लेकर रेस्त्रां में भी परोसी जाती है, लेकिन अब समय के साथ मूली का रंग भी बदल गया है. जी हां, अब बाजार में लाल रंग की मूली ने दस्तक दे दी है.


हम चुकंदर की नहीं, लाल रंग की मूली की बात कर रहे हैं, जिसकी खेती इन्हीं सर्दियों में की जाती हैं. जल-निकासी वाली बलुई-दोमट मिट्टी लाल मूली की खेती के लिए सबसे उपयुक्त रहती है. आप चाहें तो नर्सरी में लाल मूली की पौध तैयार करके इसकी व्यावसायिक खेती कर सकते हैं.


इसकी बुवाई कतारों में की जाती है और 40 से 60 दिनों में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार भी हो जाती है, जिससे 54 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.साधारण-सफेद मूली की बात करें तो ये बाजार में 50 रुपये किलोग्राम मिल जाएगी, लेकिन देश-विदेश में लाल रंग की मूली 500 से 800 रुपये किलोग्राम के भाव बिकती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें:- 1 एकड़ खेत से हर महीने कमाएं 1 लाख रुपये, इस तकनीक के पीछे अमीर बनने के सभी नुस्खे फेल हैं