Herbal Farming in Uttarakhand: बचपन से ही हर इंसान के मन में कई सपने और कई अरमान पलते रहते हैं.  चाहे पढ़ाई हो या नौकरी, इनमें से कुछ सपनों को पूरा करने के लिये इंसान को घर भी छोड़ना पड़ जाता है, लेकिन कभी-कभी समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने के लिये सपनों की उड़ान रोकनी होती है और वहीं से शुरु होता है इंसान का असल सफर.


ऐसे ही एक नये सफर पर चल पड़े है  बागेश्वर, उत्तराखंड के चंद्रशेखर पांडे (Chandra Shekhar Pandey, Bageshwar), जिन्होंने अपने गांव में बढ़ते पलायन की समस्या को रोकने के लिये 22 साल की मेहनत और अरमानों को पीछे छोड़ दिया और आज गांव के ज्यादातर लोगों को जैविक खेती (Organic Farming) के जरिये रोजगार दे रहे हैं.


पलायन की चिंता ने किया परेशान
चंद्रशेखर पांडे का जन्म बागेश्वर जिले में ही हुआ था, लेकिन अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ रोजगार की तलाश में सपनों की नगरी मुंबाई में रज-बस गये. शहर में चंद्रशेखर अपने सभी अरमान पूरा करते हुये तरक्की कर रहे थे, लेकिन इस बीच गांव और अपनी मिट्टी के प्रति लगाव भी बढ़ता जा रहा था. जब भी उन्हें गांव से पलायन या परिवारों के चले जाने की खबर मिलती तो वे परेशान हो जाते. जब गांव धीरे-धीरे गांव खाली होने लगे तो चंद्रशेखर अपनी नौकरी छोड़कर 22 साल बाद वापस अपने गांव अपनी मिट्टी की तरफ लौट आये. 


जैविक खेती के लिये देते हैं रोजगार
बागेश्वर, उत्तराखंड लौटकर चंद्रशेखर पांडे ने जैविक खेती करने का फैसला किया और अपने परिवार के साथ-साथ गांव के दूसरे परिवारों को भी अपने साथ जोड़ने लगे. धीरे-धीरे जैविक खेती शुरु करते समय उन्होंने गांव के 12 परिवारों को अपने साथ जोड़ा. आज ये परिवार चंद्रशेखर पाडे के साथ मिलकर जैविक खेती करते हैं और अपनी आजीविका कमा रहे हैं.


औषधीय खेती से इलाज भी कमाई
जाहिर है कि देवभूमि उत्तराखंड को जड़ी-बूटियों और संजीवनी की धरती भी कहते हैं. यही कारण है कि चंद्रशेखर पांडे भी मिट्टी की अमियत समझकर यहां सब्जियों की जैविक खेती के साथ-साथ अश्वगंधा, कैमोमाइल, लेमनग्रास, लेमनबाम, डेंडेलियन, रोजमेरी, भूमि आंवला, आंवला, रिठा, हरड़, वनतुलसी, रामातुलसी, श्यामा तुलसी और कई जड़ी-बूटियां भी उगाते हैं.


इन औषधीयों की खेती और प्रसंस्करण में 12 किसान परिवार उनकी मदद करते हैं. इतना ही नहीं, इन औषधीयों की बिक्री से अच्छी आमदनी तो होती ही है, साथ गांव वालों की विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं जैसे शुगर, ब्लड प्रेशर, दिल से जुड़ी बीमारियां, अस्थमा, सिरदर्द, सर्दी, जुकाम, बुखार और कई अन्य कई छोटी-बड़ी बीमारियों का इलाज भी किया जाता है.


राज्य से रोकना चाहते हैं पालयन
बागेश्वर स्थित अपने गांव में रोजगार (Rural Employment) के जरिये पलायन को रोकने की पांच की मेहनत के बाद, अब चंद्रशेखर पांडे पूरे राज्य से इस समस्या को खत्म करना चाहते हैं. उनका सपना है कि वे इसी तरह हिमालयी इलाकों में औषधीय पौधों की खेती(Medicinal Plant Farming) और जड़ी-बूटियों की खेती(Herbal Farming), सब्जियों की जैविक खेती(Organic Farming of Vegetables), मछली पालन (Fish Farming) और पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) के जरिये अधिक से अधिक किसान परिवारों को को रोजगार दें, जिससे राज्य से बढ़ता पलायन कम हो (Migration in Uttarakhand) सके और लोगों को अपने घर पर ही रोजगार मिल जाये.


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