Digital Agriculture: किसानों की दशा-दिशा बदलने में डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का अहम रोल है. ये मिशन सुनिश्चित कर रहा है कि हमारे किसान सिर्फ खेती-किसानी तक ही सीमित ना रहें, बल्कि तकनीक से भी जुड़े रहें. पिछले कुछ साल में किसानों ने यह लक्ष्य भी हासिल कर लिया है. डिजिटल कृषि की मदद से ही किसानों की आमदनी बढ़ाने मे खास मदद मिल रही है. यह कृषि और किसानों के लिए क्रांतिकारी कदम साबित हो रहा है. हाल ही में खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन को चमत्कार बताया है. उन्होंने कहा कि अब किसानों तक सरकारी मदद बिना किसी बीच-बिचौलिए के ही पहुंच जाती है. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत अब ना सिर्फ कृषि और तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ लेना आसान हुआ है, किसान तकनीक से जुड़कर आधुनिक खेती की तरफ भी तेजी से बढ़ रहे हैं. इस आर्टिकल में बताएंगे कि कैसे डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का फायदा किसानों को मिल रहा है और इसके क्या आयाम हैं.
कृषि योजनाओं का लाभ लेना हुआ आसान
केंद्र सरकार ने किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पीएम किसान सम्मान निधि योजना और ई-नाम स्कीम का नाम सबसे टॉप पर आता है.
- आंकड़े बताते हैं कि अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 25,000 करोड़ के प्रीमियम की एवज में किसानों को 1 लाख 28 हजार 522 करोड़ से अधिक क्लेम का भुगतान किया गया है.
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से करीब 11.37 करोड़ किसानों को लाभान्वित किया जा चुका है. इन किसानों के बैंक खाते में 2,16 लाख करोड़ रुपये की राशि डायरेक्ट ट्रांसफर की गई है.
- वहीं ई-नाम मंडी से जुड़कर 1.74 करोड़ किसानों को उपज की मार्केटिंग में आसानी हुई है. यहां उपज के बाजिव दाम मिलते ही है, किसान को देश के किसी भी कोने में बेचने की सहूलियत मिली है.
- उपज की पेमेंट के लिए भी परेशान नहीं होना पड़ता, बल्कि सीधा खाते में भुगतान कर दिया जाता है. ई-नाम पर 2.36 लाख ट्रेड रजिस्टर किए जा चुके हैं.
बढ़ा कृषि निर्यात
पिछले कुछ सालों मे भारत का कृषि क्षेत्र मजबूत बनकर उभरा है. एक समय वो भी था, जब देश में कृषि उत्पादों का भी आयात होता था, लेकिन सरकार की मदद, डिजिटल क्रांति और किसानों की मेहनत ने आज कृषि निर्यात 3.75 लाख करोड़ तक पहुंचा दिया है. आज हम दूध और चावल के निर्यात में नंबर-1 पर और चीनी के एक्सपोर्ट में नंबर-2 पर हैं.
इस लक्ष्य को हासिल करने में किसान रेल और किसान उडान ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. एक तरफ किसान रेल से कृषि का ट्रांसपोर्टेशन आसान हो गया है. देश के 167 रूट्स पर 2,359 रेल चलाई गई है, जिन पर 7.88 लाख टन से ज्यादा किसानों को कृषि उत्पाद ढ़ोया गया है. अब कृषि रेल की मदद से किसान देश के किसी भी कोने में अपनी उपज का ट्रांसपोर्टेशन बेहद किफायदी दरों पर कर सकते हैं.
जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों के लिए किसान उड़ान स्कीम चलाई जा रही है, जिसके तहत हवाई उड़ान के जरिए जल्दी खराब होने वाले फल, सब्जी, दूध, डेयरी, मीट समेत 12 से अधिक कृषि उत्पादों को एयर ट्रांसपोर्ट किया जा रहा है.
बैंक और दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते
किसानों तक कृषि योजना का लाभ पहुंचाने के लिए स्व-पंजीकरण की सुविधा दी जा रही है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि अब किसानों को बैंक, वित्तीय संस्थान या सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते. कई पोर्टल स्पेशली किसानों के लिए बनाए गए हैं, हेल्पलाइन नंबर जारी हुए हैं और एक्सपर्ट्स से परामर्श करने के लिए ऑनलाइन सुविधा दी जा रही है.
अब जल्द खेती को सेटेलाइट से जोड़ा जा रहा है, जो डिजिटल कृषि में क्रांति लेकर आएगा. अब प्राकृतिक आपदाओं से फल में हुए नुकसान का आकलन, लैंड सीडिंग से विवादों का स्थाई निपटारा और कृषि के डिजिटलीकरण की मदद से बैंक जाकर एनओसी लाने का झंझट भी खत्म हो गया है.
ये डिजिटलीकरण का ही तो कमाल है कि अब किसानों को खेती से जुड़ी एजवायजरी, गाइडलाइन्स और तकनीकों की जानकारी लेना आसान हो गया है. इन सब की मदद से अब किसान खेती-किसानी को एग्री बिजनेस में तब्दील कर रहे हैं. आधुनिक तकनीकों से खेती कर रहे हैं और अपनी उपज के अच्छे दाम पाने के लिए प्रोसेसिंग करके फूड प्रोडक्ट्स बना रहे हैं. इनकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी मांग होती है.यही वजह है कि कृषि के ऑनलाइन व्यापार को काफी गति मिल रही है. अब ऑनलाइन कृषि उत्पाद बेचने पर किसानों को अच्छी आमदनी मिल रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.